एजेंसी न्यूज
नई दिल्ली। यह न सिर्फ साल का पहला चंद्रग्रहणथा बल्कि 35 साल के बाद बने इस अनूठे संयोग में चांद तीन रंगों में नजर आया। शाम 4.21 बजे शुरू हुआ पूर्ण चंद्रग्रहण रात 8.38 तक जारी रहा। दिल्ली और एनसीआर में लोगों ने इस अनूठी खगोलीय घटना को देखा। पूर्ण चंद्रग्रहण देखने के लिए मुंबई से लेकर भोपाल, चेन्नई, जयपुर, गुवाहाटी, भुवनेश्वर और कोलकाता समेत कई शहरों के लोग खुली जगहों पर उमड़ पड़े। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहे। खगोलशास्त्रियों का मानना है कि ऐसा संयोग लगभग 150 वर्षों में बनता है जिसमें सुपर मून, ब्लू मून और ब्लड मून तीनों नजर आता है।
यह संयोग ही था कि इस बार चांद का आकार सामान्य आकार से काफी बड़ा दिखा। एक ही महीने दूसरी पूर्णमासी के कारण नीला चांद और रक्तिम चांद का भी संयोग बना। इससे पहले ऐसा चंद्रग्रहण 1982 में दिखा था जब नीला चांद और पूर्ण चंद्रग्रहण एक साथ भारत में दिखा था। शाम 4.21 बजे चांद के पृथ्वी के कक्षा में प्रवेश करते ही चंद्रग्रहण शुरू हुआ। ठीक दो घंटे बाद चांद पर पृथ्वी की छाया बनी और पूरा अंधेरा छा गया। इसी दौरान चांद तीन रंगों में नजर आया।
शाम 7.37 बजे चांद ने रक्तिम यानी ब्लड मून और फिर ब्लू मून का नजारा दिखाया। चंद्रग्रहण पर गंगा के घाटों पर भारी भीड़ उमड़ी। वाराणसी में ग्रहण से पहले हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। इस ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है।