एजेंसी न्यूज
लखनऊ। निकाय चुनाव खत्म होते ही राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी का ऐलान किया है। दर बढ़ाने के लिए आयोग ने परिणाम आने का भी इंतजार नहीं किया। उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव खत्म होते ही सूबे वालों को योगी सरकार ने बिजली का झटका दिया है। यूपी विद्युत नियामक आयोग ने गुरुवार को शहरी, ग्रामीण और व्यावसायिक उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों में भारी बढ़ोत्तरी की है।
सबसे ज्यादा बोझ ग्रामीण उपभोक्ताओं पर पड़ा है। पहले ग्रामीण उपभोक्ताओं से 180 रुपए प्रति माह चार्ज किया जाता था, जिसे अब बढ़ा दिया गया है। ग्रामीण अनमीटर्ड उपभोक्ताओं को अब 300 रुपए प्रतिमाह बिल देना होगा। वहीं जिनके यहां मीटर लगा है, उन ग्रामीण उपभोक्ताओं को पहली 100 यूनिट बिजली 3 रुध्यूनिट के दर से मिलेगी. 100-150 यूनिट के लिए ग्रामीण उपभोक्ताओं को 3.50 रुध्यूनिट देना होगा. वहीं 150 से 300 यूनिट के लिए 4.50 रुध्यूनिट देना होगा। इतना ही नहीं नई दरों के मुताबिक ग्रामीण उपभोक्ताओं को 50 रुपए का फिक्स चार्ज भी देना होगा. ग्रामीण इलाकों में मार्च से 400 रुपए प्रति किलोवाट का भी चार्ज लगेगा।
यूपी विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन एसके अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नई दरों की घोषणा की। मौजूदा समय में बिजली विभाग करीब 75 हजार करोड़ के घाटे से जूझ रही है। यूपी के उर्जा विभाग की बिजली कंपनियों द्वारा विधुत नियामक आयोग को काफी पहले ही विद्युत दरों में वृद्धि में एक व्यापक बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव भेजा था। जिसे आज लागू कर दिया गया।
वहीं ग्रामीण अनमीटर्ड कॉमर्शियल उपभोक्ताओं को 1000 रुपए प्रतिमाह देना होगा। पहले यह दर 600 रुपए थी। किसानों को सिंचाई के लिए अब 100 के बजाय 150 प्रति बीएचपी की दर से बिजली मिलेगी। प्रदेश में बिजली की दरों की बढ़ोतरी के कयास काफी दिनों से लगाए जा हे थे। नई कीमतों के मुताबिक पहली 100 यूनिटों के लिए 3 रुपये और इसके बाद 4.50 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिल आएगा। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2017-18 के लिए ग्रामीण अनमीटर्ड कनेक्शन का मासिक बिल 180 से बढ़ाकर 31 मार्च 2018 तक 300 रुपये और उसके बाद 400 रुपये किया गया है।
आयोग ने ग्रामीण घरेलू बिजली दरों में 63 फीसद, शहरी घरेलू में 8.49 फीसद, कॉमर्शियल में 9.89 और ऑफिसेस की बिजली दरों में 13.46 फीसद की वृद्धि की है। आयोग ने ओल्ड एज होम व अनाथालय या विशेष बच्चों के संस्थानों को दरों में राहत दी है और तीन साल के लिए लाइन लॉस का प्रतिशत भी निर्धारित कर दिया है। दो तीन दिन में नोटीफिकेशन जारी होने के एक हफ्ते बाद बढ़ी दरें लागू हो जाएंगी।
अगले सप्ताह से बिजली महंगी हो जाएगी। उद्योगों को छोड़ गांव से लेकर शहरवासियों को महंगी बिजली का तगड़ा झटका लग गया। गुरुवार को उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग टैरिफ आर्डर जारी कर दिया। नगरीय निकाय चुनाव में जनता की नाराजगी से बचने के लिए राज्य सरकार के इशारे पर अब तक टैरिफ आर्डर न जारी करने वाले नियामक आयोग ने गुरुवार को चालू वित्तीय वर्ष के लिए बिजली की दरें घोषित कर दी। बुधवार को अंतिम चरण के मतदान की प्रक्रिया पूरी हो गई है इसलिए सरकार के साथ ही निर्वाचन आयोग को भी अब दरें घोषित करने पर किसी तरह की आपत्ति नहीं है। राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल ने बताया कि नियामक आयोग को इस संबंध में अनुमति दे दी गई है।
सूत्रों के मुताबिक लघु, मध्यम व भारी उद्योगों व लाइफ लाइन उपभोक्ताओं को छोड़कर अन्य सभी श्रेणियों के बिजली उपभोक्ताओं की बिजली महंगी होगी। चूंकि गांव की बिजली की दरें लंबे समय से न बढने के कारण काफी कम हैं इसलिए सर्वाधिक बढ़ोत्तरी ग्रामीण उपभोक्ताओं की बिजली की दरों में ही दिखाई देगी। अब तक जहां ग्र्रामीणों को 180 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह देना होता है वहीं अगले सप्ताह से 300 रुपये देने होंगे। पहली अप्रैल से यह 400 रुपये हो जाएगी। प्रति यूनिट दर 2.20 रुपये से बढ़कर 100 यूनिट तक तीन रुपये और उससे अधिक अधिकतम 5.50 रुपये होगी।
निजी नलकूप का फिक्स चार्ज 100 से बढ़कर 150 रुपये किया जा रहा है। इसी तरह शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए फिक्स चार्ज 90 से 100 रुपये तथा खपत के अनुसार प्रति यूनिट दर 4.90 से 6.50 रुपये हो जाएगी। वाणिज्यिक उपभोक्ताओं का फिक्स चार्ज 600 से 1000 तथा मिनिमम चार्ज 375 से 500 रुपये बढ़कर 425 से 575 रुपये होगा। प्रति यूनिट अधिकतम दर 8.30 रुपये होगी। मौजूदा रेग्यूलेटरी सरचार्ज आगे भी बना रहेगा।
गौरतलब है कि वित्तीय संकट से जूझ रहे पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने तो औसतन 22 फीसद बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव किया था लेकिन नियामक आयोग ने जन सुनवाई करने के बाद लगभग 15 फीसद ही दरें बढ़ाने का निर्णय किया है। चूंकि नियमानुसार आयोग द्वारा टैरिफ आर्डर जारी होने के सात दिन बाद वह प्रभावी होता है इसलिए उपभोक्ताओं को अगले सप्ताह से नई दरों के मुताबिक बिजली के बिल का भुगतान जनवरी से करना होगा।
राज्य निर्वाचन आयोग ने भले ही अनुमति दे दे ही है लेकिन निकाय चुनाव की आचार संहिता लागू होने के दौरान ही बिजली दरें बढ़ाए जाने पर उपभोक्ताओं ने राज्यपाल राम नाईक से हस्तक्षेप की मांग की है। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने गुजरात दौरे पर गए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गैर मौजूदगी में बिजली दरें बढ़ाने के लिए अधिकारियों के दबाव को संवैधानिक संकट करार दिया है। परिषद ने उप्र विद्युत नियामक आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैैं।
परिषद अध्यक्ष के मुताबिक नया टैरिफ जारी करने के लिए आयोग के पास चार जनवरी तक का समय है, फिर भी आयोग जैसी अर्द्ध न्यायिक संस्था आचार संहिता के दौरान ही नई दरों की घोषणा करके संवैधानिक व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रही है।
वर्मा ने कहा कि नियामक आयोग द्वारा इस बार ग्रामीण उपभोक्ताओं की दरों में कई गुना बढ़ोतरी की साजिश की जा रही है, जो नागरिकों के साथ विश्वासघात की श्रेणी में आता है। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि आर्थिक संकट का हवाला देकर पावर कारपोरेशन मुख्यमंत्री को भी गुमराह कर रहा है। परिषद ने इस मामले में मुख्यमंत्री से भी दखल देने और आचार संहित के दौरान बिजली दर बढ़ाने का दबाव बनाने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की है।