“जब तक 15 प्रतिशत मुस्लिम आबादी की उपेक्षा होगी…”, बजट पर असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा बयान
लोकसभा में बजट पर चर्चा के दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि सरकार अल्पसंख्यकों के लिए केंद्र स्तर पर जो योजनाएं बनाती हैं, उनमें से अधिकांश का बजट पूरी तरह से खर्च नहीं हो पाता।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्रीय बजट 2025 की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने सोमवार को लोकसभा में बजट पर चर्चा के दौरान कहा कि इस बजट से “विकसित भारत” नहीं बन सकता। उन्होंने लोकसभा में बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए यह आरोप भी लगाया कि यह सरकार अल्पसंख्यकों के प्रति पूर्वाग्रह के भाव से काम कर रही है और अकलियतों खासकर मुसलमानों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है।
हैदराबाद से लोकसभा सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जब तक लड़कियों को तालीम नहीं मिल जाती, तब तक बड़ी आबादी गरीब है और जब तक देश की 15 प्रतिशत मुस्लिम आबादी की उपेक्षा की होगी, तब तक भारत कभी भी “विकसित” नहीं बन सकता। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार अल्पसंख्यकों के लिए केंद्र स्तर पर जो योजनाएं बनाती हैं, उनमें से अधिकांश का बजट पूरी तरह से खर्च नहीं हो पाता। इसके अलावा, उन्होंने यह दावा किया कि सरकार ने मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों की भावनाओं का पूरी तरह से अनदेखा किया है और उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।ओवैसी ने वक्फ संपत्तियों को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “सरकार वक्फ संपत्तियों को आमदनी का जरिया नहीं बनाना चाहती, बल्कि उन्हें खत्म करना चाहती है। इस दौरान ओवैसी ने कहा कि मध्यम वर्ग को ‘बलि का बकरा’ बनाया जा रहा है।बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए आरएसएपी नेता एनके प्रेमचंदन ने भी ओवैसी की आलोचना का समर्थन करते हुए कहा कि यह बजट “विकासोन्मुखी” नहीं है और इसमें आम लोगों के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों के साथ “सौतेला व्यवहार” बंद होना जाना चाहिए