सीएम सुक्खू का कहना है कि वह समोसे खाते ही नहीं हैं। ऐसे में यह सवाल है कि फिर समोसे आए किसके लिए थे और बवाल क्यों हो रहा है। आइए पूरा मामला समझते हैं।
हिमाचल प्रदेश में समोसा विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। बीजेपी ने आरोप लगाए कि सीएम सुक्खू के समोसे किसी और ने खा लिए तो हिमाचल सरकार ने सीबीआई जांच बैठा दी। इसके बाद सरकार से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि कोई सीबीआई जांच नहीं बैठाई गई है। सीआईडी की तरफ से भी कहा गया कि यह उनका अंदरूनी मामला है और इसमें अन्य लोगों को नहीं घसीटा जाना चाहिए। अंत में सीएम सुक्खू ने एक इंटरव्यू में कह दिया कि वह समोसे खाते ही नहीं हैं। ऐसे में यह सवाल है कि फिर समोसे आए किसके लिए थे और बवाल क्यों हो रहा है। आइए पूरा मामला समझते हैं।
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्य अतिथि के रूप में सीआईडी के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। सीआईडी मुख्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम के लिए लक्कड़ बाजार स्थित होटल रेडिसन ब्लू से समोसे और केक के तीन डिब्बे मंगवाए गए थे। हालांकि, ये स्नैक्स सीएम तक नहीं पहुंचे और सुरक्षा टीम को परोस दिए गए। इस मामले की जांच डिप्टी एसपी स्तर के एक अधिकारी ने की और इस घटना को “सरकार विरोधी कृत्य” कह दिया इसके बाद बवाल मच रहा है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता चेतन बरागटा ने समोसे और केक को लेकर उठे विवाद पर प्रदेश सरकार पर चुटकी लेते हुए कहा कि समोसे ना मिलने पर अगर सीआईडी जांच बिठाई जा सकती है तो ऐसे में हिमाचल प्रदेश सरकार की क्या प्राथमिकता है यह साफ तौर पर नजर आता है। उन्होंने कहा कि इस वक्त हिमाचल प्रदेश में और भी कई बड़ी समस्याएं हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश सरकार का ध्यान केवल खाने-पीने की चीजों पर ही है। समोसे ना मिलने पर सीआईडी जांच बिठाई जा रही है। यही नहीं इस घटना को सरकार विरोधी भी बताया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में पिछले दो सालों से विकास कार्य बंद पड़े हैं, लेकिन प्रदेश सरकार का उसे और कोई भी ध्यान नहीं है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री को चाहिए कि इन सब छोटी-मोटी बातों को छोड़कर विकास कार्यों की ओर ध्यान दें।
समोसा जांच विवाद को लेकर सीआईडी महानिदेशक संजीव रंजन ओझा ने कहा है कि यह सीआईडी का आंतरिक मामला है। अंतरिम जांच रिपोर्ट वायरल होना चिंता का विषय है। किसी भी कर्मचारी के खिलाफ नोटिस जारी नहीं किया गया है। मामले का राजनीतीकरण करना दुर्भाग्यपूर्ण है। सीआईडी की आंतरिक जांच रिपोर्ट में पाया गया कि सीएम के लिए समोसे लाने का काम एक एसआई को दिया गया था, जिसने अपने जूनियर कर्मचारियों को यह काम सौंप दिया। इसके बाद समोसे और केक आए, लेकिन गलफहमी में उन्हें सुरक्षा टीम में बांट दिया गया। कार्यक्रम के अंत में एक अधिकारी ने पूछा कि जो सामान मंगाया गया था, उसका क्या हुआ तो मामले का खुलासा हुआ।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का ने समोसा कांड पर कहा कि एक समोसा सरकार विरोधी कृत्य कैसे हो गया? समोसा तो विपक्ष के लोगों ने खाया नहीं। सरकार की पोती मशीनरी समोसा खाने वाले का पता लगाने में लग गई है। प्रदेश में हर स्तर पर अराजकता और भ्रष्टाचार चरम पर है।
सीएम सुक्खू के मीडिया एडवाइजर नरेश चौहान का कहना है कि सरकार ने ऐसी कोई जांच करने के आदेश नहीं दिए। इस मामले से सरकार का कोई लेना देना नहीं है। सीआईडी विभाग का ये आंतरिक मामला है और वे अपने स्तर पर मामले की जांच कर रहा है। सबको पता है कि मुख्यमंत्री बाहर का खाना नहीं खाते हैं। ऐसे में यह केवल सरकार को बदनाम करने की साजिश रची गई है। भाजपाई नेता बेवजह मामले को तूल दे रहे हैं। क्योंकि भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है, लिहाजा इस मसले के जरिए गलत तरीके से कांग्रेस सरकार के खिलाफ प्रचार किया जा रहा है।किसके लिए आए थे समोसे, क्यों हो रहा बवाल सीएम के मीडिया एडवाइजर के अनुसार वह बाहर का खाना नहीं खाते हैं। ऐसे में समोसे और केक कार्यक्रम में शामिल अन्य अधिकारियों के लिए मंगाए गए थे। अब अधिकारियों का नाश्ता सुरक्षाकर्मी खा गए तो बवाल होना ही था। इसी वजह से जांच बैठाई गई और इसे सरकार विरोधी कृत्य कहा गया। हालांकि, विपक्ष ने इसे अलग ही रंग दे दिया और अब सीएम को भी सफाई देनी पड़ी है।