कोरोना लॉकडाउन में कैंसिल की थी मैरिज हॉल की बुकिंग, 4 साल बाद मिला न्याय
वेडिंग ओपेरा (एसजी हॉस्पिटैलिटी की एक इकाई) ने 29 जून 2020 को एक शादी समारोह के लिए मैरिज हॉल की बुकिंग के वास्ते जमा कराए गए पैसों को वापस नहीं किया। इससे शिकायतकर्ता सुनील कुमार खुराना को मानसिक पीड़ा और कष्ट के अलावा वित्तीय नुकसान भी हुआ।
साल 2020 में लॉकडाउन के समय बैंक्वेट हॉल लगभग साल भर बंद रहे। जब शादियों का समय था उस वक्त भी कोरोना के मामले बढ़ने के चलते व्यापार मंदा रहा था। कोरोना लॉकडाउन की वजह से लोगों की जिंदगी की रफ्तार थम गई थी। केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे। ऐसे में बैंक्वेट हॉल की बुकिंग के नाम पर ली गई रकम लौटानी चाहिए थी। राष्ट्रीय राजधानी के एक उपभोक्ता कोर्ट ने यह टिप्पणी एक शख्स के पक्ष में फैसला सुनाते हुए की है।
उपभोक्ता कोर्ट ने एक प्राइवेट कंपनी को उस व्यक्ति को एक लाख रुपये की जमा राशि वापस करने का निर्देश दिया है, जिसने जून 2020 में एक मैरिज हॉल बुक किया था, लेकिन कोविड-19 लॉकडाउन के कारण वह इसका उपयोग नहीं कर सका था। दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष इंदर जीत सिंह और सदस्य रश्मि बंसल ने शिकायतकर्ता को मानसिक पीड़ा पहुंचाने के लिए समूह पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया और मुकदमे के खर्च के रूप में पांच हजार रुपये अदा करने का निर्देश दिया। मैरिज हॉल ने नहीं लौटाई एडवांस राशि
मध्य दिल्ली जिला उपभोक्ता विवाद निवारण मंच उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें आरोप लगाया गया था कि वेडिंग ओपेरा (एसजी हॉस्पिटैलिटी की एक इकाई) ने 29 जून 2020 को एक शादी समारोह के लिए मैरिज हॉल की बुकिंग के वास्ते जमा कराए गए एक लाख रुपये वापस नहीं किए। शिकायतकर्ता सुनील कुमार खुराना के अनुसार, वेडिंग ओपेरा द्वारा न तो शादी समारोह को बाद की तारीख में पुनर्निर्धारित किया गया और न ही बार-बार अनुरोध के बावजूद बुकिंग राशि वापस की गई, जिससे उन्हें मानसिक पीड़ा और कष्ट के अलावा वित्तीय नुकसान भी हुआ।6% ब्याज के साथ रकम वापस करने का निर्देश मंच ने 15 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाया था और यह हाल में उपलब्ध हुआ है। मंच ने कहा, “प्रतिवादी (वेडिंग ओपेरा) ने शिकायतकर्ता द्वारा भुगतान की गई राशि को अनुचित तरीके से अपने पास रख लिया, खासकर तब जब सरकार की ओर से देशव्यापी लॉकडाउन का आदेश था… शिकायतकर्ता की कोई गलती नहीं है।” मंच ने समूह को जुर्माने और मुकदमे की लागत के अलावा राशि जमा करने की तिथि (12 मार्च 2020) से छह प्रतिशत ब्याज के साथ रकम वापस करने का निर्देश दिया।