मोदी का दशहरा संदेश: जातिवाद, क्षेत्रवाद से सतर्क रहें
पीएम मोदी ने अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की बात की और विजयादशमी पर प्रत्येक देशवासी से 10 संकल्प लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आज़ादी के 75 साल बाद, अब भारत के भाग्य का उदय होने जा रहा है।
देशभर में मंगलवार को रावण दहन हुआ। तमाम राष्ट्रीय स्तर के नेता दशहरा, विजयादशमी उत्सव में शरीक हुए। दिल्ली के द्वारका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रावण दहन के मौके पर एक खास संदेश दिया। मोदी ने कहा, “आज़ादी के 75 साल बाद, अब भारत के भाग्य का उदय होने जा रहा है। लेकिन यही वह समय भी है, जब भारत को बहुत सतर्क रहना है। हमें ध्यान रखना है कि आज रावण का दहन बस एक पुतले का दहन न हो। ये दहन हो, हर उस विकृति का, जिसके कारण समाज का आपसी सौहार्द बिगड़ता है। ये दहन हो, उन शक्तियों का, जो जातिवाद और क्षेत्रवाद के नाम पर मां भारती को बांटने का प्रयास करती है। ये दहन हो, उस विचार का, जिसमें भारत का विकास, नहीं, स्वार्थ की सिद्धि निहित है।”
चूंकि माहौल राममय था, इसलिए मोदी ने सबसे पहले अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की बात की। मोदी ने कहा, “आज हमें सौभाग्य मिला है कि हम भगवान राम का भव्यतम मंदिर बनता देख पा रहे हैं। अयोध्या की अगली रामनवमी पर रामलला के मंदिर में गूंजा हर स्वर, पूरे विश्व को हर्षित करने वाला होगा। वह स्वर, जो शताब्दियों से यहां कहा जाता है- “भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला..कौसल्या हितकारी”। भगवान राम की जन्मभूमि पर बना रहा मंदिर सदियों की प्रतीक्षा के बाद हम भारतीयों के धैर्य को मिली विजय का प्रतीक है। राम मंदिर में भगवान राम के विराजने को बस कुछ महीने बचे हैं…उस हर्ष की परिकल्पना कीजिए, जब शताब्दियों के बाद राम मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा विराजेगी. .. तुलसी बाबा रामचरित मानस में लिखते हैं – ‘सगुन होहिं सुंदर सकल मन प्रसन्न सब केर, प्रभु आगवन जनाव जनु नगर रम्य चहुं फेर’, यानि जब भगवान राम का आगमन होने ही वाला था तो पूरी अयोध्या में शगुन होने लगा। जब सभी का मन प्रसन्न होने लगा। पूरा नगर रमणीक बन गया। ऐसे ही शगुन आज हो रहे हैं। आज भारत चंद्रमा पर विजयी हुआ है। हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं। हमने कुछ सप्ताह पहले संसद की नयी इमारत में प्रवेश किया है। नारी शक्ति को प्रतिनिधित्व देने के लिए संसद ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया है।”
मोदी ने विजयादशमी पर प्रत्येक देशवासी से 10 संकल्प लेने का आग्रह किया। इन 10 संकल्पों में – पानी बचाना, डिजिटल लेनदेन को प्राथमिकता देना, स्वच्छता, स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग, अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुओं का निर्माण, पूरे भारत का परिभ्रमण करने के बाद ही विदेश यात्रा, प्राकृतिक कृषि पर ज़ोर, सुपरफूड मिलेट्स का इस्तेमाल, योग और फिटनेस पर ज़ोर और कम से कम एक गरीब परिवार के घर का सदस्य बन कर उसके सामाजिक स्तर में वृद्धि। मोदी ने राम राज्य की अवधारणा भी समझायी। उन्होंने कहा, एक विकसित भारत, जो आत्मनिर्भर हो, विश्व शांति का संदेश दे, जहां सबको अपने सपने पूरे करने का समान अधिकार हो, जहां लोगों को समृद्धि और संतुष्टि का भाव दिखे, यही राम राज्य की परिकल्पना है। जो बात मोदी ने कही, तकरीबन उसी तरह का संदेश अलग शब्दों में सुबह नागपुर में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी कार्यक्रम में दिया।
मोहन भागवत ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि भारत दुनिया को अपनी प्राचीन संस्कृति, दर्शन और परंपराओं की शक्ति से परिचित कराए, भारत तमाम तरह के संघर्षों से जूझ रही दुनिया को रास्ता दिखाए। RSS प्रमुख ने कहा कि भारत की संस्कृति सबको जोड़ने वाली है, सबको साथ लेकर चलने वाली है और प्रभु राम हमारे आदर्श हैं। भागवत ने कहा कि सदियों के संघर्ष के बाद अब शान्ति का समय है, ये सौभाग्य की बात है कि देश के अमृतकाल में श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण भी पूरा हो रहा है। 22 जनवरी को जब अयोध्या में रामलला मंदिर में विराजमान होंगे, उस वक्त हर घर में उत्सव होना चाहिए। समाज के सभी लोगों को मिलकर पूरे देश का माहौल राममय बनाना चाहिए। भागवत ने लोगों को सावधान भी किया। उन्होंने कहा, कि हमारे देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो देश को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते, भारत की प्रगति को रोकने के लिए लोगों को मजहब और जाति के आधार पर बांटने की कोशिश की जा रही है। भागवत ने कहा कि इस वक्त ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है क्योंकि कुछ दिनों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उसके बाद लोकसभा चुनाव भी होंगे। गड़बड़ी फैलाने वाले इस मौके की ताक में हैं, लोगों को भड़काने की कोशिश की जाएगी, लेकिन हमें किसी बहकावे में नहीं आना है। मोहन भागवत ने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे युद्धों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि दुनिया धार्मिक उन्माद से पैदा हुई कट्टरता और अहंकार की वजह से संकटों का सामना कर रही है, जहां भी युद्ध हो रहे हैं, सबके मूल में हितों का टकराव या फिर धार्मिक कट्टरता है। दुनिया के पास इस तरह के संघर्षों का समाधान नहीं है और पूरी दुनिया इस वक्त भारत से मार्गदर्शन की उम्मीद कर रही है। विजयादशमी के बहाने हमारे देश-दुनिया के माहौल की भी बात हुई, धर्म के नाम पर क्रूरता और बर्बता करने वालों की भी बात हुई। इन सभी बातों का मतलब समझने की जरुरत है।
मोदी ने राम राज्य की बात की, मोहन भागवत ने शांति और संयम की बात की, धर्म के नाम पर फैलाए जा रहे उन्माद की निंदा की। उन्होंने कहा कि दुनिया की समस्याओं का समाधान भारत की विरासत में छुपा है, इसलिए पूरे विश्व के देश आज भारत से उम्मीद करते हैं कि वह दुनिया को रास्ता दिखाए। सबसे दिलचस्प बात ये है कि असदुद्दीन ओवैसी ने भी मोदी से अपील की कि वो फिलिस्तीनियों की मदद के लिए इजरायल से बात करें। ओवैसी ने सुझाव दिया कि भारत पहल करे, गाजा में एक सिविलियन कॉरिडोर बनवाए ताकि लोगों को खाना पानी और दवाएं पहुंचाई जा सकें। ये अच्छी बात है कि ओवैसी को भी लगता है कि भारत इसमें बड़ी भूमिका अदा कर सकता है लेकिन ओवैसी ने हमास की बर्बरता और क्रूरता के बारे में एक लफ्ज नहीं कहा। उनके मंच पर जितने नेता थे सबने इस्लाम की बात की, दुनियाभर के मुसलमानों से एक होने को कहा लेकिन किसी ने दीन के नाम पर हत्याएं करने वालों के बारे में कुछ नहीं कहा। दूसरी तरफ मोहन भागवत ने RSS के स्वयंसेवकों को नसीहत दी कि वो धार्मिक उन्माद से दूर रहें, मजहब और जाति के नाम पर बांटने वालों के बहकावे में न आएं। भागवत ने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चल रही जंग का जिक्र किया और कहा कि सबकी जड़ में धार्मिक कट्टरवाद है। मुझे लगता है कि बदले माहौल में RSS ये संदेश दे सकता है तो ओवैसी और दूसरे मौलाना इस तरह की बात क्यों नहीं कहते। हम फिलिस्तीन की मदद करें, वहां के लोगों को खाना पानी पहुंचाएं, ये जरुरी है लेकिन धर्म के नाम पर कत्ल करने वालों, बलात्कार करने वालों और अगवा करने वालों की निंदा भी करें। यही वक्त का तकाजा है, यही भारत की संस्कृति है और दुनिया के तमाम बड़े मुल्क आज यही कह रहे हैं।