चीन की चुनौती के बीच जानिए भारत कैसे मजबूत कर रहा अपनी सीमाएं, LAC पर कैसी हैं तैयारियां

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चीन की चुनौती के बीच जानिए भारत कैसे मजबूत कर रहा अपनी सीमाएं, LAC पर कैसी हैं तैयारियां, पढ़ें पूरी ​डिटेल
कुटिल चीन सीमा पर कायराना हरकतें करता रहता है। चीन की ऐसी कुत्सित मानसिकता और चुनौतियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत की तैयारियां भी कम नहीं है। भारत अपनी सरहदों को तेजी से ताकतवर बना रहा है। सड़क, सुरंग, पुल सभी के कंस्ट्रक्शन पर तेजी से काम हो रहा है।चीन की चुनौती के बीच भारत मजबूत कर रहा अपनी सीमाएं
चीन की हर हरकत पर भारत उसे माकूल जवाब देता है। चीन को उसकी हैसियत बताने में भी भारत पीछे नहीं रहता है। हालांकि चीन के साथ किसी भी चु​नौती का सामना करने के लिए भारत भी अपनी ओर से पूरी तैयारियों में जुटा हुआ है। चीन को हर जवाब देने की रणनीति पर भारत काम कर रहा है। तोप, टैंकर और सेना की टुकड़ियां तेजी से बॉर्डर तक पहुंच सके, इसके लिए जानिए भारत एलएसी पर कहां, किस तरह और कितनी तेजी से निर्माण का काम कर रहा है।
चीन से चुनौती के बीच भारत तेजी से कंस्ट्रक्शन का काम कर रहा है। इसी बीच हाल के समय में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारत-चीन सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश के सियांग में सौ मीटर लंबे ‘क्लास-70’ ब्रिज का उद्घाटन किया। इसे खुद रक्षामंत्री ने सुरक्षा की तैयारी बढ़ाने की प्रक्रिया का हिस्सा बताया। इस पुल की खासियत यह है कि यह पुल 70 टन तक का वजन सहन कर सकता है। इससे फायदा यह होगा कि सेना की टुकड़ियों, भारी तोपों जैसे टी-90, ज़मीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और लड़ाई के दूसरे सामान को सीमा क्षेत्रों में तेज़ी से पहुंचाया जा सकेगा। सेना के विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसे कंस्ट्रक्शन का लक्ष्य यही होता है कि सैन्य टुकड़ियों को जल्द से जल्द युद्ध स्थल पर मूव किया जा सके। दरअसल, पिछले दिनों दोनों देशों के जवानों के बीच अरुणाचल के ही तवांग क्षेत्र में झड़प हुई थीं जिसमें कई सैनिक घायल हुए थे।
जानें भारत चीन सीमा पर कितने हजार करोड़ के चल रहे प्रोजेक्ट्स?
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक़, बीते दो साल के भीतर सीमावर्ती इलाक़ों में पांच हज़ार करोड़ रुपयों से अधिक की लागत से दौ सौ से ज्यादा प्रोजेक्ट्स तैयार हुए हैं। भारत की सीमा (जमीनी) 15,106 किलोमीटर से भी लंबी है। जिन छह देशों की सीमाओं से भारत की सरहद लगती है उनमें पाकिस्तान, चीन से हमारे कूटनीतिक संबंध अच्छे नहीं हैं। नेपाल के साथ भी सीमा विवाद का सिलसिला चल निकला है। वहीं बांग्लादेश और म्यांमार के साथ मानव तस्करी और दूसरी तरह की तस्करी होती रहती है। फिर ये दोनों देश भी चीन के करीब जाने लगे हैं। भूटान की ओर से भी डोकलाम जैसी हरकत चीन करता रहा है। ऐसे में हमें अपनी पूर्व और पश्चिम दोनों ओर की सीमाओं पर ध्यान देने की जरूरत रही है। इसी दिशा में भारत तेजी से काम कर रहा है।
भारत ने कई साल पहले शुरू कर दी थी सीमाओं की फेंसिंग
इस सिलसिले में भारत ने सालों पहले से पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं (पंजाब, राजस्थान) और उत्तर (जम्मू-कश्मीर) की तरफ फेंसिंग करनी शुरू कर दी थी, जिसको लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल दिल्ली में कहा भी था कि एकाध साल में 7500 किलोमीटर लंबी सीमा में जहां-जहां फ़ेंसिंग का काम छूटा हुआ है उसे पूरा कर लिया जाएगा।
चीन की ओर से सबसे ज्यादा घुसपैठ 2019 में हुई, संख्या थी 663
दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर कई संधियां भी हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि चीन लगातार इनकी अनदेखी करता रहता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सुरक्षा मामलों पर काम करने वाली जानी मानी संस्था हडसन का कहना है कि 2011 से लेकर साल 2018 के दौरान चीन की ओर से भारत में घुसपैठ की तादाद हर साल कम से कम 200 से 460 के बीच रही है। साल 2019 में तो ये संख्या 663 पर पहुंच गई थी। इसी संबंध में 1990 से जारी चिंताओं में भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन की बढ़ती निर्माण गतिविधियां भी शामिल थीं।भारत ने सरहदों पर यातायात और संचार माध्यम को बेहतर बनाने के लिए चीन पर एक स्टडी ग्रुप का गठन किया, जिसने 73 सड़कों की पहचान की जिन्हें इन इलाकों में बनाना था। इसे ही इंडिया-चाइना बॉर्डर रोड्स के नाम से जाना जाता है। हालांकि इनमें से कुछ बन पाईं, लेकिन कई में बहुत देरी हुई। इस काम में तेजी 2005 से 2009 के अीच रही। भारत के सीमावर्ती इलाकों में निर्माण का काम कई वजहों से प्रभावित रहा। सेना के सूत्रों के अनुसार, जमीन अधिग्रहण, मौसम और भौगोलिक स्थिति इसकी वजह रही, लेकिन डोकलाम तनाव के बाद इस काम में फिर से काफी तेजी आ गई है।
इन सड़कों पर तेजी से हो रहा काम, सुरंगें भी बन रहीं
हाल में तैयार परियोजनाओं में जम्मू-कश्मीर का 55 मीटर लंबा बस्ती ब्रिज और उत्तराखंड से लगने वाली तिब्बत सीमा पर 24 किलोमीटर लंबी भैरों घाटी-नेलॉन्ग मार्ग भी है। 9 किलोमीटर से भी लंबे अटल टनल और निर्माणाधीन जोजिला सुरंग मार्ग को भी सीमा क्षेत्र की सुरक्षा को मजबूत करने का कदम बताया जाता है। इस समय दो दर्जन से अधिक सुरंग मार्गों पर काम जारी है। विशेषज्ञों के अनुसार ये सुरंगें बनने के बाद काफी फायदा होगा, क्योंकि अभी कई सीमावर्ती इलाके ऐसे हैें जहां साल के 4 से 5 महीने पहुंचना मुश्किल होता है। हाल के दशक में निर्माण कार्यों पर काफी धनराशि लगाई गई है।

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