1962 वाला भारत समझ चीन कर रहा बड़ी गलती, जानें किस देश ने दिया ऐसा बयान

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1962 वाला भारत समझ चीन कर रहा बड़ी गलती, जानें किस देश ने दिया ऐसा बयान
हिंदुस्तान को 1962 वाला भारत समझकर चीन बड़ी गलती कर रहा है। भारत ने दशकों में काफी विकास कर लिया है और उसे धमकाया नहीं जा सकता। मगर चीन को यह बात समझ नहीं आ रही। अरुणाचल प्रदेश के तवांग में 9 दिसंबर को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई भिड़ंत के बाद तिब्बत का बयान। हिंदुस्तान को 1962 वाला भारत समझकर चीन बड़ी गलती कर रहा है। भारत ने दशकों में काफी विकास कर लिया है और उसे धमकाया नहीं जा सकता। मगर चीन को यह बात समझ नहीं आ रही। अरुणाचल प्रदेश के तवांग में 9 दिसंबर को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई भिड़ंत के बाद तिब्बत का यह बड़ा बयान सामने आया है। इससे चीन को मिर्ची लग गई है। तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति पेनपा सेरिंग ने शनिवार को कहा कि भारत के खिलाफ चीन का आक्रामक रुख उसकी ‘‘असुरक्षा की भावना’’ का परिणाम है। चीन को भारत के बढ़ते कद से खतरा महसूस हो रहा है। उन्होंने कहा कि चीन का मकसद एशिया में अपना दबदबा कायम करना है। इस बयान से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भी होश फाख्ते हो गए हैं।तिब्बती नेता जम्मू विश्वविद्यालय में बौद्ध अध्ययन विभाग के सहयोग से आयोजित भारत तिब्बत संघ की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्य समिति बैठक-सह-संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। सेरिंग ने संगोष्ठी से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘भारत के खिलाफ चीन के आक्रामक रुख से उसकी असुरक्षा की भावना जाहिर होती है। चीन का उद्देश्य भारत को रोकना है ताकि एशियाई क्षेत्र में उसके प्रभुत्व को चुनौती देने वाला कोई न हो।’’ वह 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी और नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़पों को लेकर सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘वे भारत के खिलाफ अकारण आक्रामक रुख रखे हुए हैं जबकि तथ्य है कि इन जगहों पर लोग नहीं रहते हैं। वे भारत सरकार को परेशान करने के लिए इस तरह की कार्रवाई कर रहे हैं।भारत अब आक्रामक है, कमजोर नहीं चीन के आक्रामक रुख को ‘‘सोची समझी रणनीति’’ का परिणाम बताते हुए तिब्बती नेता ने कहा कि इस तरह के कदमों से किसी को फायदा नहीं होने वाला। चीनी सरकार को भारत सरकार व भारत के लोगों का विश्वास हासिल करने में कई साल लगेंगे। सेरिंग ने कहा कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने हमेशा भारत और चीन के बीच अच्छे पड़ोसी संबंधों का समर्थन किया है। साथ ही उन्होंने कहा चीन अपने आक्रामक कृत्यों से 1962 के चीन-भारत युद्ध के घावों को कुरेद रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर चीन यह सोचता है कि भारत 1962 की तरह कमजोर है, तो वह गलत है। भारत ने दशकों में काफी विकास किया है और उसे धमकाया नहीं जा सकता है।
’’ चीन की घुसपैठ से निपटने के लिए कांग्रेस द्वारा भारत सरकार की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘नेताओं के अलग-अलग विचार हो सकते हैं और विपक्ष का काम विरोध करना है। लोकतंत्र में रचनात्मक आलोचना का हमेशा स्वागत है। सेरिंग ने कहा, ‘‘लेकिन मेरा मानना है कि भारतीय नेतृत्व ने बहुत मजबूत रुख अपनाया है कि जब तक उन सभी क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी नहीं होती है, जहां चीनियों ने घुसपैठ की है, तब तक संबंध सामान्य नहीं होगा।’

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