आगरा
आगरा कॉलेज में अनूठी घड़ी है। ये टिकटिक नहीं करती, लेकिन 180 साल से समय सटीक बता रही है। ये इलेक्ट्रॉनिक नहीं बल्कि पत्थर से बनी है। कोणार्क मंदिर के चक्र की तरह धूप से समय दिखाती है। जाहिर है नाम भी धूप घड़ी ही है। अगले साल द्विशताब्दी समारोह मनाने जा रहे आगरा कॉलेज धूप घड़ी के संबंध में प्रदर्शनी भी लगाएगा।
कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अनुराग शुक्ल ने बताया कि कॉलेज के पार्क में यह धूप घड़ी लगी है। इसी के कारण पार्क का नाम धूप घड़ी उद्यान रखा गया है। इसमें धूप की दिशा से समय आसानी से देखा जा सकता है। इसका समय और हाथ की घड़ी का समय समान मिलता है। धूप घड़ी ऐतिहासिक और अनूठी है। इसका इतिहास 180 साल पुराना है। धूप घड़ी में रोमन और हिन्दी के अंक अंकित हैं।
बताया जाता है कि पूर्व में समय का पता करने के लिए इसका निर्माण कराया गया था। इसका विचार कोणार्क मंदिर में बने चक्र से आया। उस दौरान इसी से स्कूल खुलने और बंद होने समेत अन्य कार्य करने का समय तय होता था।
आगरा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. मनोज रावत ने बताया कि आगरा कॉलेज की नींव ज्योतिषाचार्य पंडित गंगाधर शास्त्री ने वर्ष 1823 में रखी थी। ये ग्वालियर मराठा राजघराने के राज ज्योतिषी थे।
ईस्ट इंडिया कंपनी को जागीर मिलने के बाद वर्ष 1842 में तत्कालीन प्राचार्य ई. लोज की निगरानी में इस पत्थर घड़ी का निर्माण हुआ। इसको बनाने में भारतीय गणितज्ञ और ज्योतिषाचार्य की भी मदद ली गई।
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धूप घड़ी में सूर्य की रोशनी की परछाई के आधार पर सटीक समय पता कर सकते हैं। इसके बीचों बीच काली पट्टिका और चारों ओर रोमन और हिंदी के अंक दर्ज हैं। धूप पड़ने पर पट्टिका से इन अंकों के बीच बनी लाइन को देखकर समय पता करते हैं। एक बार समझकर कोई भी आसानी से समय देख सकता है।