ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग के पास वजू करने और शिवलिंग को लेकर भड़काऊ बयान देने के लिए एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव, शहर मौलवी सहित अन्य लोगों पर मुकदमा दर्ज होगा या नहीं, इसपर कोर्ट का आदेश 17 अक्तूबर को आ सकता है। शनिवार को एसीजेएम पंचम/एमपी एमएलए उज्जवल उपाध्याय की अदालत में आदेश आने वाला था लेकिन नहीं आ सका। रामेश्वर निवासी अधिवक्ता हरिशंकर पाण्डेय ने यह वाद दाखिल किया है जिस पर पोषणीयता के बिंदु पर सुनवाई हो चुकी है। अब आदेश आने वाला है। कोर्ट ने 17 अक्तूबर की तिथि तय की है। ज्ञानवापी परिसर में 16 मई को कोर्ट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान शिवलिंग मिलने के दावे के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद ओवैसी पर हिंदुओं की धार्मिक भावना आहत करने वाला बयान देने का आरोप लगा था। इस मामले में अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय की ओर से अदालत में प्रार्थना पत्र दिया गया। कहा गया कि वजूखाने में जाकर हाथ-पैर धोना और शिवलिंग वाली जगह पर गंदा पानी जाना आस्था पर कुठाराघात है। अखिलेश यादव ने पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रखने संबंधी बयान देकर लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया। असदुद्दीन ओवैसी व उनके भाई ने हिंदुओं के धार्मिक मामलों पर और स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर के खिलाफ लगातार अपमानजनक बातें कीं। इस मामले में पुलिस आयुक्त को तहरीर देकर मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई। मुकदमा दर्ज नहीं होने पर अदालत में वाद दायर किया गया। आरोप लगाया गया कि पूरे मामले पर साजिश में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी, शहर काजी, शहर के उलेमा आदि शामिल हैं। न्यायालय में दायर वाद में ओवैसी और अखिलेश यादव सहित सात नामजद और 2000 अज्ञात के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कर विवेचना की मांग की गई है।
ज्ञानवापी में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक मामले में सुनवाई पूरी ज्ञानवापी में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक और मस्जिद हटा कर जमीन का कब्जा देने को लेकर दाखिल वाद सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर शनिवार को सुनवाई पूरी हो गई। सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सभी पक्षों की दलीलें पूरी कर ली गईं। कोर्ट ने आदेश के लिए 27 अक्तूबर की तिथि तय की। अधलात ने कहा कि 18 अक्तूबर तक तक सभी पक्ष अपनी लिखित बहस दाखिल करे। बीते बुधवार को हुई सुनवाई में अंजुमन पक्ष की ओर से अधिवक्ता रईस अहमद व एखलाक अहमद आदि ने दलील में कहा था कि इस वाद में प्रॉपर्टी आॅफ डिस्प्यूट स्पष्ट नहीं है। वाद लाने का क्या कारण है, यह भी नहीं बताया गया। पक्षकार कैसे प्रभावित हैं, यह भी स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कहा था कि आदि विश्वेश्वर नाम के देवता हैं ही नहीं, जबकि वाद आदि विश्वेश्वर भगवान विराजमान व किरन सिंह पांच अन्य की तरफ से दाखिल किया गया। वाद में विवादित सम्पत्ति को मस्जिद बताया गया है जो वर्ष 1669 की बताई गई है।
मस्जिद वक्फ की सम्पत्ति है और यह सम्पत्ति सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड में दर्ज है और उसको पक्षकार ही नहीं बनाया गया है। सम्पत्ति वक्फ बोर्ड की है, ऐसे में सिविल कोर्ट को इसको सुनने का अधिकार नहीं है।