नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 सितंबर से शुरू होने वाली शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे. यह शिखर सम्मेलन उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित किया जाएगा. मौजूदा ट्रैवल शेड्यूल में पीएम की इस यात्रा के बारे में बताया गया है.
प्रधानमंत्री 14 सितंबर को समरकंद पहुंचेंगे और दो दिवसीय शिखर बैठक में शामिल होकर 16 सितंबर को भारत वापस लौटेंगे. शिखर सम्मेलन 15-16 सितंबर को होगा. इससे पहले जून 2019 में कर्गिस्तान के बिश्केक में एससीओ सम्मेलन किया गया था. शिखर सम्मेलन में भारत की उपस्थिति महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शिखर सम्मेलन के अंत में एससीओ की रोटेशनल प्रेसीडेंसी ग्रहण करेगा.
भारत सितंबर 2023 तक एक साल के लिए समूह की अध्यक्षता करेगा. अगले साल भारत एससीओ सम्मेलन की मेजबानी करेगा, जिसमें चीन, रूस और पाकिस्तान के नेता शामिल होंगे. शिखर सम्मेलन के अलावा, विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों के साथ पीएम मोदी की द्विपक्षीय बैठकें होंगी या नहीं, इस बारे में जानकारी नहीं दी गई है. हालांकि, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक होना तय मानी जा रही है.
क्या शरीफ के साथ होगी पीएम मोदी की बैठक?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी शिखर सम्मेलन शामिल होंगे. इससे पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री मोदी की फेस टू फेस द्विपक्षीय बैठक ब्राजील के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हुई थी, जिसे नवंबर 2019 में आयोजित किया गया था. मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच सैन्य टकराव के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आ गया था. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ पीएम मोदी की द्विपक्षीय वार्ता होगी या नहीं, यह साफ नहीं है क्योंकि शनिवार रात तक भारत और पाकिस्तान के बीच कोई आधिकारिक संपर्क नहीं हुआ था.
बैठक के दौराना रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बदली भू-राजनीतिक स्थिति और इसके प्रभाव पर चर्चा हो सकती है. चूंकि एससीओ के कई सदस्य देश अफगानिस्तान के पड़ोसी है, इसलिए तालिबान शासन को लेकर बैठक में चर्चा हो सकती है. ताशकंद से 300 किलोमीटर दूर समरकंद में पिछले छह महीने से एससीओ शिखर सम्मेलन की तैयारी चल रही है. शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना 2001 में शंघाई में की गई थी. वर्तमान में इस संगठन नें आठ देश- चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. चार पर्यवेक्षक देश- अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया संगठन की पूर्ण सदस्यता में शामिल होने में रुचि रखते हैं. संगठन में छह देश- आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की संवाद भागीदार की भूमिका में हैं. पिछले साल एक पूर्ण सदस्य देश के रूप में ईरान की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला लिया गया था. वहीं, नए संवाद भागीदार के रूप में यह फैसला मिस्र, कतर और सऊदी अरब के लिए लिया गया था.
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