मोटापे और डायबिटीज को कंट्रोल रखता है दलिया, पिज्जा-चाऊमीन छोड़ नाश्ते में इसे करें शामिल
दलिया बेहद पौष्टिक आहार है, इसे आप अपनी जीवनशैली में शामिल करके हेल्दी लाइफ जी सकते हैं। ये मोटापा, कब्ज, डायबिटीज आदि रोगों से हमें बचाता है।
100 ग्राम दलिया खा लेंगे तो दिन भर के लिए आवश्यक फाइबर्स का 75% हिस्सा आपको मिल जाएगादलिया में मैग्नेशियम भी खूब होता है इसमें जो हार्ट के लिए जरूरी है
स्कूल में मिलने वाला मिड डे मील में अक्सर आपने देखा होगा कि दलिया होता है, आखिर ये दलिया क्यों बच्चों को दिया जाता है? बचपन में तो हम सभी दलिया खाते थे लेकिन बदलते लाइफस्टाइल में दलिया कहीं छूट सा गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं दलिया इतना हेल्दी होता है कि आप ये जानने के बाद उन पॉलिसी मेकर्स का शुक्रिया अदा करेंगे जिन्होंने मिड डे मील में दलिया एड करवाया है।
साइंटिस्ट और हर्बल मेडिसिन एक्सपर्ट दीपक आचार्य ने हमें बताया कि दलिया बेहद पौष्टिक आहार है। 100 ग्राम दलिया खा लेंगे तो दिन भर के लिए आवश्यक फाइबर्स का 75% हिस्सा आपको मिल जाएगा। मैग्नेशियम भी खूब होता है इसमें जो हार्ट के लिए जरूरी है। इसमें आयरन और विटामिन B6 भी अच्छा खासा मिल जाता है। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए भी दलिया हमारे शरीर में मेहनत करता है। इतने सारे गुण हैं इस दलिया में तो फिर ये आखिरा हमारी रसोई से गायब क्यों हो गया? दलिया की जगह मैगी और नूडल्स ने ले ली है।
दलिया के फायदे
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कहीं दरदरे गेंहू का दलिया बनता है, कहीं चावल या किनकी का दलिया और कहीं कुटकी का दलिया बनता है। दक्षिण गुजरात में तो नागली (रागी) का दलिया भी बनाते हैं। औषधीय गुणों की खान होता है दलिया लेकिन भागती दौड़ती ज़िंदगी में शहरी लोग इस कदर भागे कि देहाती खानपान को तुच्छ समझने लगे। हमारा फ़ूड फास्ट हुआ लेकिन बॉडी का सिस्टम स्लो हो गया। हम शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार होने लगे। ज बुखार उतारने में कारगर हैं तुलसी सहित ये आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां, जानिए सेवन का तरीका
सन् 1990 के बाद से हिंदुस्तान में लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर्स की भरमार होने लगी। डायबिटीज, आर्थराइटिस, कैंसर, हार्ट डिजीज, मोटापा और तरह तरह के रोग हर परिवार में पैर पसारने लगे, क्यों? आज भी ग्रामीण तबकों में ये सब समस्याएं काफी कम हैं या ना के बराबर हैं, जानते हैं क्यों? क्योंकि ये लोग आज भी पारंपरिक खानपान को अपनाते हैं। गांव के लोगों के जीवन में तनाव कम है और उनके नसीब में पिज़्ज़ा, बर्गर, चाउमीन नहीं हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि वे शहरी लोगों से लाख गुना बेहतर हैं। गांव देहातों में आज भी दलिया और दलिया जैसे कई पौष्टिक व्यंजन अक्सर बनते हैं, इन्हें बड़े शौक से खाया जाता है। बाज़ारवाद ने दलिया को ओट मील बना दिया और आपकी पॉकेट ढीली करवा दी। आप घर में ही दलिया तैयार करें या पता कीजिये आसपास में आटा चक्की कहाँ है, और दलिया बनवा लाइये, और अपने भोजन में इस पौष्टिक आहार को शामिल कीजिए।