विश्व पर्यावरण दिवस पर आइए करें बेहतर कल की तैयारी, अब हमारी बारी
हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष आजादी के अमृत महोत्सव के साथ ही अमर उजाला भी अपनी स्थापना के 75वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। सामाजिक सरोकारों का दायित्व निभाते हुए अमर उजाला ने एक विशेष अभियान ‘अब हमारी बारी, आइए करें बेहतर कल की तैयारी’ शुरू किया है। इसके तहत हम सभी देशवासियों से एक जिम्मेदार और जागरूक नागरिक होने का फर्ज निभाने के लिए पर्यावरण संरक्षण की इस पहल में भागीदार बनने का आह्वान करते हैं।
इस धरती ने हमें जो सबसे सुंदर उपहार दिया है, वह है प्रकृति। मानव सभ्यता का अस्तित्व और विकास इसी धरती की आबो-हवा के सहारे टिका है, लेकिन पिछले कुछ दशकों के तेज रफ्तार विकास के बीच हमने प्रकृति की अहमियत को नजरअंदाज ही किया है। प्रकृति का जरूरत से ज्यादा दोहन किया है। उसे लौटाया बेहद कम है।
दो वर्ष पहले जब कोरोना की वजह से गतिविधियां थम गईं, तब हमने साफ हवा देखी। साफ पानी देखा। ऑक्सीजन के स्तर में सुधार महसूस किया। तब प्रकृति ने दिखा दिया कि अगर उसे पूरे मन से संभाला जाए तो अपने पुराने स्वरूप में लौटने में उसे देर नहीं लगती। जब दुनिया हर दिन विकास की नई इबारत लिख रही हो, तब यह सही वक्त है कि हम प्रकृति को सहेजें और उसे अपने पुराने स्वरूप में लौटने दें। बेहतर कल की तैयारी करने और हमें प्राण वायु देने का कर्ज धरती को लौटाने की ”अब हमारी बारी” है।
”अब हमारी बारी” क्यों जरूरी?
– इस बार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व पर्यावरण दिवस के लिए थीम दी है- ओनली वन अर्थ, यानी हमारे पास एक ही पृथ्वी है, जिसे सहेजने की जरूरत है।
– ”अब हमारी बारी” को समझना इसलिए भी जरूरी है कि इस पृथ्वी की जितनी क्षमता है, उससे 1.6 गुना ज्यादा हम उसका दोहन कर रहे हैं। हर 10 में से नौ लोग प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं।
– इस बात का 50 फीसदी खतरा बना हुआ है कि अगले दो दशक में तापमान 1.5°C तक बढ़ जाएगा।
– अगर जलवायु परिवर्तन की वजह से इकोसिस्टम बिगड़ता है तो इससे 3.2 अरब लोग यानी दुनिया की 40 फीसदी आबादी प्रभावित होगी।
– अगर हम इस पृथ्वी की 15 फीसदी जमीन को ही बेहतर पर्यावरण की दृष्टि से सहेज लें तो 60 फीसदी प्रजातियों को खतरे में पड़ने से बचा लेंगे।