नई दिल्ली.
केंद्रीय कानून सचिव अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने बुधवार को साइबर अपराध के बढ़ रहे मामलों पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध ने यौन उत्पीड़न का एक नया रास्ता खोल दिया है और हमारे लिए एक बड़ी चुनौती पेश की है। साथ ही कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
कानूनी मामलों के विभाग के महिला अधिकारियों संबोधित करते हुए मेंदीरत्ता ने कहा कि इससे जुड़ी कई चुनौतियां हैं और पहला कदम शिकायत समिति को घटना को लेकर शिकायत पर बात करना और लिखना है।
पितृसत्ता का कोई लिंग नहीं होता
यौन उत्पीड़न की रोकथाम पर बुधवार को पहली कार्यशाला आयोजित की गई थी। यहां केंद्रीय कानून सचिव अनूप कुमार मेंदीरत्ता के साथ भारत की अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी भी मौजूद थी। इस दौरान ऐश्वर्या भाटी ने भवरी देवी मामले और सुप्रीम कोर्ट में विशाखा जनहित याचिका दायर करने के तरीके पर भी चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि पितृसत्ता का कोई लिंग नहीं होता है।
शिकायत समिति को महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्यस्थल के लिए इसके कार्यान्वयन में सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। कार्यशाला के बाद कानून पर अतिरिक्त सचिव डॉ अंजू राठी राणा द्वारा संचालित ‘छुप्पी तोड़’ जैसी विभिन्न गतिविधियों के साथ एक इंटरैक्टिव सत्र का संचालन किया गया और प्रतिभागियों को अपने कार्यस्थल में एक अच्छी बात और अपने कार्यस्थल में एक क्षेत्र साझा करने के लिए कहा, जिसे वे चाहते हैं। इसे सुरक्षित और सुरक्षित बनाने के लिए बदलें इस बारे में बताया गया।