हरिद्वार। गंगा रक्षा संबंधी मांगों को पूरा कराने के लिए अनशनरत साध्वी पद्मावती को जबरन उठाए जाने पर परमा अध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। आश्रम में पत्रकार वार्ता में स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि बीती रात में साध्वी पद्मावती को जबरन उठाकर अस्पताल में भर्ती कराया जाना, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उल्लंघना करना है। उन्घ्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि रात के समय किसी भी महिला को पुलिस हिरासत में नहीं लिया जा सकता है, लेकिन प्रशासन और शासन ने आदेशों का उल्लंघन कर जबरन साध्वी को उठाकर अस्पताल में भर्ती कराया है।
इससे मातृ सदन की ओर से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, एसडीएम कुसुम चैहान, सीएमओ डॉ सरोज नैथानी, लक्सर की तहसीलदार सुनैना राणा तथा कनखल थानाध्यक्ष विकास भारद्वाज व वह चैकी इंचार्ज लखन सिंह के खिलाफ हरिद्वार की सीजेएम कोर्ट में वाद दायर कराया गया है। इसकी सुनवाई 14 फरवरी को होगी। यह वाद हरिद्वार की सीजीएम कोर्ट में अधिवक्ता अरुण भदौरिया की ओर से दायर करने के लिए प्रार्थना पत्र दे दिया गया है।
शिवानंद ने बताया कि सोमवार को हाईकोर्ट में भी वाद दायर कर दिया जाएगा। जिसमें कुछ अलग बिंदुओं को लेकर वाद दायर किया जाएगा। कहा, उन्होंने देहरादून एसएसपी अरुण मोहन जोशी से हुई वार्ता में स्पष्ट कह दिया है कि साध्वी को अगर कोई भी उपचार दिया जाए तो वह मातृसदन आश्रम में लाकर ही दिया जाए।
गौरतलब है कि गंगा रक्षा संबंधी मांगों को पूरा कराने के लिए अनशन कर रही मातृसदन की साध्वी पद्मावती को देर रात जिला प्रशासन ने अनशनस्थल से उठवा दिया। साध्वी को दून अस्पताल भेजा गया। इस दौरान, साध्वी ने जबरन उठाने का विरोध किया और कहा कि शासन-प्रशासन सब मिले हुए हैं और वह इंसाफ नहीं करना चाहते। जीते जी तो मुझे इंसाफ नहीं मिल सका, लेकिन भारतवासियों मुझे मरने के बाद न्याय दिलाना।