देहरादून। पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने और पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने समेत आठ सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश भर के अधिकारियों और कर्मचारियों ने सचिवालय कूच कर सरकार को जमकर खरीखोटी सुनाई। इस दौरान उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंच ने सरकार को एक महीने का अल्टीमेटम देते हुए ऐलान किया कि मांगे नहीं मानी गईं, तो 27 फरवरी से तीन दिन कार्य बहिष्कार करने के बाद सभी अधिकारी और कर्मचारी एक मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। पदाधिकारियों से ज्ञापन लेने आए मुख्यमंत्री के ओएसडी डीएस पंवार ने भरोसा दिलाया कि वह उनकी मांगों को सीएम के सामने रखेंगे रखेंगे और फरवरी के पहले हफ्ते में मंच के प्रतिनिधि मंडल से सीएम की वार्ता कराने की कोशिश करेंगे।
उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंच के बैनर तले छह जनवरी से चल रहे चरणबद्ध आंदोलन के अहम पड़ाव के दौरान सोमवार की भोर से ही कुमाऊं और गढ़वाल मंडल के जिलों से अधिकारियों और कर्मचारियों का देहरादून पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। दोपहर एक बजे के करीब अधिकारी-र्मचारी परेड ग्राउंड से नारेबाजी करते हुए सचिवालय कूच कर दिया। एहतियात के तौर पर सुभाष रोड पर पुलिस ने बैरीकेडिंग कर रखी थी, लेकिन अधिकारी-कर्मचारी बैरीकेडिंग के पास पहुंच कर खुद ही रुक गए और सड़क पर ही धरने पर बैठ गए।
इस दौरान मंच ने ऐलान किया, जब तक मुख्यमंत्री का प्रतिनिधि या मुख्य सचिव ज्ञापन लेने नहीं आते, तब तक वह यहीं धरने पर बैठे रहेंगे। कर्मचारियों को संबोधित करते हुए मंच के मुख्य संयोजक इं. नवीन कांडपाल ने कहा कि कितने दुर्भाग्य की बात है कि उत्तराखंड के हजारों कर्मचारी आज सरकार की हठधर्मिता की वजह से सड़क पर उतरने को मजबूर हैं। मुख्य संयोजक पंचम बिष्ट ने कहा कि मांगे नहीं मानी गईं तो अनिश्चितकालीन हड़ताल होना तय है।
मंच के प्रांतीय प्रवक्ता ने कहा कि वह सरकार के दाहिने हाथ हैं, लेकिन सरकार उनकी सुविधाओं में एक-एक कर कटौती करती जा रही है। अन्य वक्ताओं ने कहा कि पदोन्नति न होने से तमाम अधिकारी और कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए, उनका दर्द कौन समझेगा। पेंशन बंद कर सरकार ने नए अधिकारियों कर्मचारियों की आर्थिकी की कमर तोड़ दी है। उन्होंने कहा, सचिवालय कूच का आंदोलन चेतावनी है। एक मार्च से प्रदेश के सभी विभागों में कामकाज ठप कर अनिश्चितकालीन हड़ताल निर्णायक होगी।