उत्तरकाशी/बड़कोट। जिले के विभिन्न गांव में लोकपर्व देवलांग (दीपावली) धूमधाम से मनाया गया। गंगा घाटी के धनारी पुजारगांव के अलावा रवांई घाटी के गैर, गंगटाड़ी, कुथनौर गांव में बुधवार सुबह देवलांग यह पर्व मनाया गया। देवलांग पर्व को मनाने के लिए मंगलवार रात को ही लोग गैर बनाल, गंगटाड़ी पहुंच गए थे। इस मौके पर ग्रामीणों में विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद पारंपरिक नृत्य किया। बुधवार तड़के एक पेड़ पर बांधे चीड़ व देवदार की लकड़ी के छिल्लों पर आग लगाई गई। इसके बाद लोगों ने एक दूसरे को देवलांग की बधाई दी।
प्राचीन मान्यता के अनुसार महाभारत के युद्ध में रवांई घाटी के बनाल को भी शामिल करने का निमंत्रण प्राप्त हुआ था। बनाल का बंटवारा भी दो थोकों में हुआ। जो क्षेत्र कौरवों के साथ था वो साटी और जो पांडवों के साथ हुआ उसे पानसाही थोक कहा गया। उस धर्म युद्ध के अंश को आज भी बनाल के देवलांग पर्व में दिखने को मिलते हैं। देवलांग पर्व की पहली रात्रि के अंतिम पहर में दोनों थोकों के लोग अपने आराध्य देव राजा रघुनाथ के मंदिर में पहुंचे। जहां सांकेतिक युद्ध अभ्यास का नृत्य किया गया। बुधवार सुबह को देव वृक्ष पर बांधे गए छिलकों पर आग लगाई गई और रासों, तांदी नृत्य किया गया। मंगलवार की रात को गायक रेश्मा शाह, सौरभ मैठाणी व सुन्दर प्रेमी ने गीतों की प्रस्तुति दी।