करूला व जयंतीपुर में झोलाछापों की भरमार

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मु0 रिज़वान
मुरादाबाद। यूं तो जिलाधिकारी ने झोलाछाप डाॅक्टरों एवं अपंजीकृत मेडिकल प्रैक्टीशनरों को चिन्हित कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने एवं उनके संस्थानों को सील करने के आदेश सीएमओ एवं सभी एमओआईसी को दिये हैं। मगर हकीकत यह है कि जिलाधिकारी के सख्त आदेशों के बाद भी झोलाछाप डाॅक्टरो की दुकानें पहले की तरह ही चल रहीं है। सबसे ज्यादा झोलाछाप डाॅक्टरों की भरमार करूला व जयंतीपुर इलाको में है।
महानगरी की उपनगरी कहे जाने वाले करूला व जयंतीपुर की हर गली में झोलाछाप डाॅक्टर आसानी से मिल जायेगा। इन झोलाछापों को ठीक से मरीज का ब्लड प्रेशर चेक करना नहीं आता और यह बुखार जैसे रोगों में लोगों को ट्रीट करते है। यहां तक की डेंगू जैसे बुखार से निपटने का दावा भी यह झोलाछाप करते हैं मगर जब मरीज की हालत बिगड़ने लगती है तो हाथ खड़े कर लेते है। करूला व जयंतीपुर की गलियों में बसे इन झोलाछापों की दुकानों पर इस समय बुखार के मरीजों की लम्बी लाईनें लगी हुई हैं। लोगों में भी जागरूकता न होने के कारण 30 – 40 रूपये में दवाई मिलने का लालच इन झोलाछापों की दुकानें चला रहा है। ऐसा नहीं है कि सीएमओ कार्यालय को इन झोलाछापो की जानकारी नहीं है। मगर कार्यवाही क्यूं नहीं होती यह समझ से परे है। इन झोलाछापो की दुकानों पर बकायदा इनके नाम के बोर्ड तो लगे हैं मगर उस पर डिग्री गायब है। अगर इसकी जांच हो तो करूला व जयंतीपुर की गलियों में सैकड़ों के हिसाब से झोलाछाप सामने आयेंगे। प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की आंखो में धूल झोंकते हुए यह झोलाछाप शहर की गलियों में बैठकर लोगों की जिन्दगी से खिलवाड़ कर रहे है। वहीं शहर में भी कई मोहल्लों में झोलाछापो की दुकानें खुली है मगर करूला व जयंतीपुर में इनकी भरमार ज्यादा है। अभी कुछ माह पहले जयंतीपुर के एक ऐसे ही झोलाछाप के इलाज के कारण मरीज की मौत समाचार पत्रों की सुर्खियां बनी थी। कभी कभार स्वास्थ्य विभाग की ओर से छापामारी कर औपचारिकता पूरी कर ली जाती है मगर उसके बाद सबकुछ ऐेसे ही चलता रहता है। अब देखना यह है कि क्या जिलाधिकारी के आदेशों पर स्वास्थ्य विभाग अमल करेगा या फिर सबकुछ पहले की तरह ही चलता रहेगा।

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