उत्तराखंड में जीआइएस डाटा से रफ्तार पकड़ेगा विकास

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देहरादून। राज्य में तीव्र और सतत विकास के लिए नियोजन प्रकिया चुस्त-दुरुस्त करने को डाटा प्रबंधन मजबूत होगा। धरातल पर हो रहे विकास कार्यों की वस्तुस्थिति को परखने, अनुश्रवण और कामकाज में पारदर्शिता के लिहाज से जिओग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जीआइएस) आधारित डाटा का इस्तेमाल करने का निर्णय सरकार ने लिया है। इस डाटा को जिओ पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। नियोजन सचिव अमित नेगी ने सभी विभागों को 31 मार्च, 2020 तक डाटा अपलोड और डाटा विश्लेषण का कार्य पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश में अब जीआइएस आधारित नियोजन और अनुश्रवण प्रक्रिया संचालित की जाएगी। इसके लिए नियोजना विभाग ने केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, राज्य सरकार के उत्तराखंड विज्ञान औक प्रौद्योगिकी परिषद (यू-कोस्ट) के सहयोग से जिओ पोर्टल तैयार किया गया है। साथ ही यू-कोस्ट और एनआरडीएमएस कुमाऊं विश्वविद्यालय अल्मोड़ा परिसर की ओर से सभी जिलों में जीआइएस डाटा एकत्रीकरण और उसकी उपयोगिता के लिए जिलास्तरीय अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। राज्य स्तर पर भी विभागाध्यक्षों और उनके नोडल अधिकारियों को भी जानकारी देने को कार्यशालाएं हो चुकी हैं।
अब नियोजन विभाग ने जीआइएस डाटा के अंतर्विभागीय उपयोग और नीति नियोजन के लिए एक ही स्तर पर डाटा उपलब्ध कराने पर जोर दिया है। इसके मद्देनजर सभी महकमों को जिओ पोर्टल में डाटा एकीकरण के लिए उपलब्ध कराने को कहा गया है। नियोजन सचिव ने इस संबंध में सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों और प्रभारी सचिवों के साथ सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश जारी किए हैं। आदेश में कहा गया कि राज्य में जीआइएस डाटा मैनेजमेंट की जिम्मेदारी उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसेक) की है। जिओ पोर्टल से संबंधित सभी तकनीकी कार्यों के लिए बतौर नोडल विभाग यूसेक कार्य करेगा।

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