मुख्य विकास अधिकारी विनीत कुमार को बनाया गया शिप्रा नदी के पुनर्जीवन का नोडल अधिकारी

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हल्द्वानी-अत्यधिक प्रदूषण और कम वर्षा के चलते प्रदेश की नदियों में पानी कम होता जा रहा है ।प्रदेश की महत्वपूर्ण नदियों के पुनर्जीवन का बीड़ा प्रदेश सरकार ने उठाया है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नैतृत्व में प्रदेश की महत्वपूर्ण नदियो के पुनर्जीवन का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। इस कड़ी में रेपस्ना नदी तथा अल्मोड़ा कोसी नदी में मुख्यमंत्री के दिशा निर्देशन में विशेष पुनरोद्धार कार्य सरकारी मशीनरी के साथ ही जन सहयोग से किए गए हैं। इसी कड़ी में जनपद नैनीताल की शिप्रा नदी का भी चयन किया गया है। शिप्रा नदी के पुनर्जीवन का नोडल अधिकारी मुख्य विकास अधिकारी श्री विनीत कुमार को बनाया गया है। इस महत्वपूर्ण नदी के पुनर्जीवन के लिए तैयार की गई डीपीआर तथा कार्य योजना के सम्बन्ध में एक महत्वपूर्ण बैठक विगत देर रात्रि सर्किट हाउस में सम्पन्न हुई।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी श्री विनीत कुमार ने कहा कि नदियाॅ हमारे प्रदेश की संस्कृति का आधार हैं तथा प्रदेश की खुशहाली में नदियों का अहम योगदान है। उन्होंने कहा कि बदलते मौसम चक्र में हर वर्ष बारिश कम होती जा रही है, जिससे नदियों में पानी की मात्रा घट रही है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के चलते नदियों के आसपास जल स्त्रोत भी सूखने लगे हैं। ऐसे में जल स्त्रोतों के रिचार्ज के साथ ही नदियों के पुनर्जीवन का कार्य किया जाना जरूरी हो गया है।
उन्होंने कहा कि शिप्रा नदी पुनर्जीवन कार्य का विस्तार रातिघाट तथा उसके आसपास के ईलाकों तक किया गया है ।उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में इस कार्य पर 13 करोड़ 45 लाख की धनराशि व्यय होगी।
मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि आगामी मानसून के दौरान जुलाई माह में 16 व 17 जुलाई को हरेला पर्व के अवसर पर शिप्रा नदी के आसपास सम्बन्धित विभागों एवं जन सहयोग के जरिये लाखों की संख्या में वृक्षारोपण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कृषि, वन तथा उद्यान विभाग अभी से वृक्षारोपण के लिए गड्डे खोदने का कार्य पूर्ण कर लें तथा उपयुक्त पौध की व्यवस्था भी पूर्व में कर ली जाए।
मुख्य कृषि अधिकारी धनपत कुमार ने बताया कि शिप्रा नदी के पुनरोद्धार के लिए शिप्रा नदी में अनेक जल धाराएं विभिन्न जलीय चट्टानी परतों से प्रस्फुटित होती हैं। जिनमें प्रथम एवं द्वितीय स्तर जल धाराएं सामान्यतया आरक्षित वनों में प्रवाहित होती हैं। शिप्रा नदी के जलागम में प्रथम श्रेणी की 21 एवं द्वितीय श्रेणी की 3 जल धाराएं 7 रिचार्ज जोन के विभिन्न जलीय चट्टानी पर्तों से निकलती हैं। उन्होंने बताया कि शिप्रा नदी को सदानीर बनाए रखने के लिए वर्षा जल को रोकने एवं जमीन के अन्दर रिसने हेतु 10 से0मी0 व्यास एवं 30 सें0मी0 गहराई के इनफिल्ट्रेशन छिद्र बनाये जायेंगे तथा प्रति हैक्टेयर अधिकतम 600 इनफिल्ट्रेशन ट्रेंच बनाए जायेंगे जिनकी सामान्यतया दूरी 10 मीटर होगी और ढाल के अनुसार दूरी कम की जाएगी। इसके साथ ही जल धारा को रिचार्ज करने वाले महत्वपूर्ण स्त्रोंतों जैविक चैकडेम, ड्राई स्टोन चैकडेम, चाल-खाल, जलकुण्ड को भी रिचार्ज करने का कार्य किया जाएगा।
बैठक में जिला विकास अधिकारी रमा गोस्वामी, मुख्य कृषि अधिकारी धनपत कुमार, जिला उद्यान अधिकारी भावना जोशी, उप प्रभागीय वनाधिकारी जीडी तिवारी आदि मौजूद थे।

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