देहरादून 09 अगस्त, 2018(सू.ब्यूरो)-शनिवार 11 अगस्त को पूर्वाह्न 11 बजे मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपस्थिति में सेक्स साॅर्टेड सीमन उत्पादन के लिए यू.एल.डी.बी. व इन्गुरान सेक्सिंग टेक्नोलाॅजी, एलएलसी के मध्य एम.ओ.यू. का हस्तांतरण किया जाएगा। इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री सुबोध उनियाल, पशुपालन मंत्री श्रीमती रेखा आर्य व सहकारिता मंत्री डा. धन सिंह रावत, विधायक धर्मपुर श्री विनोद चमोली भी उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम का आयोजन पशुपालन विभाग के मोथरोवाला रोड़ स्थित पशुधन भवन के प्रांगण में किया जाएगा।
भारत सरकार द्वारा नेशनल मिशन आॅन बोवाईन प्रोडक्टिवीटी के अंतर्गत परियोजना लाई गई है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य नर पशुओं की संख्या नियंत्रित कर मादा पशुओं की संख्या में वृद्धि करना है ताकि दुग्ध उत्पादन बढ़ाया जा सके और देशी उच्च नस्ल के पशुओं का संरक्षण व संवर्धन किया जा सके।
उक्त परियोजना में भारत सरकार द्वारा देश के दस अग्रणी हिमीकृत वीर्य उत्पादन संस्थानों का चयन किया गया, जिसमें अतिहिमीकृत वीर्य उत्पादन केंद्र, श्यामपुर ऋषिकेश भी शामिल था। इस परियोजना में प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजने वाला उत्तराखण्ड प्रथम राज्य बना। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के प्रस्ताव को उपयुक्त बताते हुए अपनी स्वीकृति दी। वर्तमान में उतराखण्ड ही एकमात्र राज्य है जिसको इस परियोजना की स्वीकृति मिली है।
परियोजना का मुख्य उद्देश्य देशी पशुओं के लिंग वर्गीकृत वीर्य का उत्पादन कर उसको गाय व भैंसों में कृत्रिम गर्भाधान का उपयोग कर अधिक से अधिक मादा पशुओं को पैदा करना है, जिससे नर पशुओं की संख्या नियंत्रित किया जा सके व दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो सके।
परियोजना की कुल लागत 47 करोड़ 50 लाख रूपए है जो पांच वर्षों के लिए संचालित की जानी है। इस परियोजना में 90 प्रतिशत केंद्रांश है जबकि 10 प्रतिशत राज्यांश है। इस परियोजना के पहले वर्ष में 2 लाख जबकि दूसरे, तीसरे, चैथे व पंाचवे वर्ष में 3-3 लाख सैक्स सीमन डोज का उत्पादन किया जाएगा।
इस परियोजना के अंतर्गत उत्तराखण्ड लाईवस्टाक डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका की कम्पनी इन्गुरान एल.एल.सी. सेक्सिंग टेक्नोलाॅजी से अनुबंध किया जा रहा है। यह कम्पनी विश्व की एकमात्र ऐसी कम्पनी है जिसको सेक्स सोर्टिंग आॅफ सीमन के काम में तकनीकी दक्षता हासिल है। इस विधि के द्वारा ‘एक्स’ व ‘वाई’ गुणसूत्र युक्त शुक्राणुओं को मशीन द्वारा अलग-अलग करके वीर्य स्ट्रा में पैक कर दिया जाता है। यदि मादा संतति की आवश्यकता है तो ‘एक्स’ क्रोमोसोम वाले वीर्य स्ट्रा का कृत्रिम गर्भाधान हेतु उपयोग करके मादा संतति की प्राप्ति की जा सकती है।