रक्षा प्रदर्शनी में दिखेगा घरेलू रक्षा विनिर्माण क्षमता का नजारा

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नयी दिल्ली 04 अप्रैल (वार्ता) रक्षा उत्पादों के सबसे बड़े आयातक का ठप्पा हटाकर भारत रक्षा प्रदर्शनी 2018 में अपने-आपको दुनिया के सामने रक्षा उत्पादों के विनिर्माण के बड़े हब के रूप में पेश करने जा रहा है।
दुनिया को भारत का यह रूप आगामी 11 से 14 अप्रैल तक चेन्नई में आयोजित रक्षा प्रदर्शनी में देखने को मिलेगा जहां इस बार सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की घरेलू कंपनियों की सबसे बड़ी भागीदारी दिखाई देगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 12 अप्रैल को प्रदर्शनी का विधिवत उद्घाटन करेंगे। प्रदर्शनी में देश की 523 कंपनियां अपने उत्पादों को दुनिया के सामने रखेंगी। इसके लिए अलग से ‘भारत पवेलियन’ बनाया गया है। प्रदर्शनी में भारतीय कंपनियों को उनके उत्पादों की नुमाइश के लिए 25 प्रतिशत ज्यादा क्षेत्र दिया गया है। प्रदर्शनी के तीन लाख वर्ग फुट के क्षेत्र में से 20 फीसदी देश के अति लघु, लघु और मध्यम उद्योगों को दिया गया है।
रक्षा उत्पादन सचिव डॉ. अजय कुमार ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में इस प्रदर्शनी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इस बार की प्रदर्शनी में दुनिया भर को यह संदेश दिया जायेगा कि भारत रक्षा उत्पाद विनिर्माण हब के रूप में उभर रहा है। पिछले वर्ष भारतीय कंपनियों ने रिकॉर्ड 55 हजार करोड़ रुपये के रक्षा उत्पाद बनाये जिनमें छोटे उत्पादों और कलपुर्जों से लेकर थल, नभ और नौसेना के सभी प्लेटफॉर्म शामिल हैं।
डॉ. कुमार ने कहा कि इसके लिए दुनिया भर के देशों को आमंत्रित किया जा रहा है। अनेक देशों ने भारतीय उत्पादों को खरीदने में रुचि दिखाई है जिनमें मुख्य रूप से दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइलों में शुमार ब्रह्मोस और दुश्मन के हौसले पस्त करने वाले अर्जुन टैंक तथा देश में ही बनायी गयी उन्नत किस्म की तोपें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कुछ देशों के साथ भारतीय उत्पादों की खरीद की बात आगे बढ़ी है, लेकिन इन देशों और उत्पादों के नाम बताया जाना अभी ठीक नहीं है।

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