बॉम्बे हाईकोर्ट: मनगढ़ंत खबरों की आड़ में जज को पद से हटाने की साजिश, तीन वकीलों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई

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बॉम्बे हाईकोर्ट: मनगढ़ंत खबरों की आड़ में जज को पद से हटाने की साजिश, तीन वकीलों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई
बॉम्बे हाईकोर्ट ने तीन वकीलों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की है। वकीलों पर आरोप है कि इन्होंने मनगढ़ंत और झूठी खबरों के आधार पर जज को निशाना बनाने का प्रयास किया। जज को पद से हटाने का प्रयास करने के आरोपी वकीलों के खिलाफ अदालत ने अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने तीन वकीलों के खिलाफ अवमानना याचिका पर कार्रवाई शुरू करने का फैसला लिया है। इन वकीलों पर आरोप है कि इन्होंने झूठी खबरों के आधार पर जज को पद से हटाने की साजिश की। रिपोर्ट के मुताबिक जज के खिलाफ गलत खबरें चलाने के आरोपी तीनों वकीलों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी। अदालत ने स्वत: संज्ञान लेकर इस मामले पर अवमानना की कार्यवाही शुरू की है। मामला उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उनके मामले की सुनवाई से अलग होने के लिए मजबूर करने का है। तीनों वकील जज को पूर्वाग्रह से ग्रसित साबित करने के लिए मनगढ़ंत सबूत लेकर आए थे।अवमानना की कार्यवाही शुरू; अदालत ने नाराजगी भी
जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई और न्यायमूर्ति एनआर बोरकर ने इस संबंध में 29 जनवरी को आदेश पारित किया। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा, जानबूझकर किया गया, गलत नीयत से प्रेरित और अवमाननापूर्ण कृत्य न्यायपालिका की छवि खराब करता है। ऐसी हरकतों से न्याय देने का सिस्टम खराब होता है। इससे न्यायालय की गरिमा कम होती है। अमर मूलचंदानी बनाम प्रवर्तन निदेशालय (ED) के इस मुकदमे में हाईकोर्ट की खंडपीठ वकीलों की तरफ से दी गई स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं थी। अवमानना की कार्यवाही शुरू करते हुए अदालत ने नाराजगी भी प्रकट की। कोर्ट ने कहा कि वकील अपने मुवक्किल का मुखपत्र नहीं होता। न्यायाधीश और अदालत जैसी संस्था को बदनाम करने के लिए एक पेशेवर के रूप में वह मुवक्किल से हाथ नहीं मिला सकता।अखबार के प्रकाशक और संपादक से पूछताछ
अदालत ने नोट किया कि एक युवा वकील होने की आड़ में न्यायिक प्रणाली को प्रदूषित करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता। खंडपीठ ने वकील को बताया कि एक न्यायिक अधिकारी के रूप में वकील की जिम्मेदारी है कि वह मुवक्किल को आधारहीन और अनुचित टिप्पणी से बचने की सलाह दें। 25 पन्नों के अपने आदेश में बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि अदालत के समक्ष दायर माफीनामा स्वीकार नहीं किया जाएगा। अदालत ने स्थानीय पुलिस आयुक्त को अखबार के प्रकाशक और संपादक से पूछताछ करने का निर्देश भी दिया।

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