अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीरा मांझी के घर जाकर चाय तो पी, लेकिन चाय के साथ उत्तर प्रदेश और बिहार में सियासत तेज हो गई। दरअसल जातीयता के लिहाज से उत्तर प्रदेश और बिहार में निषाद और मांझी समुदाय समेत उससे ताल्लुक रखने वाली कई जातियों का तकरीबन दस फ़ीसदी वोट माना जाता है। लोकसभा के चुनाव के नजरिए से मीरा मांझी के घर चाय पीकर प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों राज्यों की तकरीबन 10 फीसदी आबादी को एक संदेश तो दिया ही है। सियासी जानकार भी मानते हैं कि आने वाले लोकसभा चुनावों के नजरिए से पीएम मोदी की मीरा मांझी के घर जाकर चाय पीना और फिर उपहार भेजना सियासत में कई संदेश दे रहा है।
सियासी जानकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश के तकरीबन डेढ़ दर्जन से ज्यादा और बिहार के तकरीबन दस फ़ीसदी निषाद और मांझी समुदाय समेत इससे ताल्लुक रखने वाली जातियों का वोट बैंक है। सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी में इन जातियों के लिए कोई मजबूत नाम सामने नहीं आता है। वरिष्ठ पत्रकार सुमित कुमार कहते हैं कि इसी नजरिए से आने वाले लोकसभा चुनाव में मीरा मांझी के घर प्रधानमंत्री मोदी का जाना सियासी नजरिए से भाजपा के लिए बड़ा मुफीद माना जा रहा है। उनका कहना है कि बीते चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी संगठन निषाद समुदाय की सियासत को आगे बढ़ाते रहे हैं। इन वोट बैंक के आधार पर वह भारतीय जनता पार्टी या अन्य दलों में अपनी मजबूत पैठ भी रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीरा मांझी के घर चाय पीकर और बाद में उन्हें उपहार भेज कर निषाद और मांझी समुदाय समेत नदियों के किनारे बसने वाली जातियों को एक बड़ा संदेश भी दिया है।
सियासी जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश और बिहार में इस जाति बिरादरी के वोट बैंक से सरकारों के बनने और बिगड़ने का पूरा फैसला भी होता है। निषादराज महासभा के उपाध्यक्ष दिनेश मांझी कहते हैं कि बिहार में जहां मांझी समुदाय अनुसूचित जाति में आता है। वहीं उत्तर प्रदेश में यह समुदाय अतिपिछड़ों में शामिल है। दिनेश कहते हैं कि पूर्वांचल के तकरीबन 18 से ज्यादा जिलों में उनके समुदाय के लोग रहते हैं। बिहार में तो उनकी बिरादरी तकरीबन 12 फ़ीसदी की हिस्सेदारी में है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इस जाति बिरादरी से जुड़ी है। लेकिन अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीरा माझी के घर पहुंच कर चाय पी, तो माना यही जा रहा है कि सियासत अब करवट बदलने वाली है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में निषाद पार्टी के संजय निषाद के साथ समझौते में है। जबकि बिहार में जीतन राम मांझी और अवाम मोर्चा के साथ निषाद, मांझी समेत केवट समुदाय से ताल्लुक रखने वाली जाति बिरादरी के संपर्क में है। जानकारों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी अब सीधे तौर पर इन सभी जातियों से अपना संपर्क बढ़ा रही है। चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अयोध्या के मांझी परिवार से मिलना-जुलना हुआ है। सियासी जानकार चंद्रशेखर कनौजिया कहते हैं कि ऐसे में अब भाजपा अपनी नई रणनीति पर काम करते हुए इस समुदाय के साथ सीधे तौर पर नजदीकी बढ़ाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मीरा मांझी के घर जाकर चाय पीने और बाद में उपहार देने के बाद इन जाति बिरादरी की राजनीति करने वाले सियासी दलों में हलचल भी पैदा हुई है। उत्तर प्रदेश में निषाद समेत मांझी और अन्य जातियों की सियासत करने वाले दल से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि प्रधानमंत्री का मीरा माझी के घर जाना सियासत नहीं है। उनका कहना है कि वह बीते लंबे समय से इन लोगों के लिए संघर्ष करते आए हैं और आगे भी करते रहेंगे। जिसमें केंद्र का सरकार का हमेशा से सहयोग मिलता रहा है।