कृष्ण जन्मभूमि मामला: केस लड़ने के लिए मस्जिद समिति के पास नहीं है पैसे

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कृष्ण जन्मभूमि मामला: केस लड़ने के लिए मस्जिद समिति के पास नहीं है पैसे, सुप्रीम कोर्ट से की ये अपील
याचिकाएं कृष्ण जन्मभूमि विवाद से संबंधित हैं। यह विवाद मुगल बादशाह औरंगजेब के शासन काल से है। यह आरोप लगाया गया है कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट के आदेश पर भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर बने मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अदालत विवाद के संबंध में विभिन्न राहतों की मांग करने वाली याचिकाओं को अपने पास स्थानांतरित करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंध समिति की याचिका पर 30 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। जस्टिस संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की बेंच ने मामले की सुनवाई की। वहीं, मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई है कि इस मामले में इलाहाबाद हाइकोर्ट में मुकदमा लड़ने के लिए फंड नहीं है, लिहाजा मामले को दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया जाए। फिलहाल इस मामले में कोर्ट ने कुछ नहीं बोला है।
‘इलाहाबाद की यात्रा करने के लिए नहीं है फंड’, मस्जिद समिति की अपील
मस्जिद समिति की ओर से पेश एडवोकेट ने अदालत को बताया कि दोनों समुदाय वर्षों से सद्भाव से रह रहे हैं, लेकिन अब जाकर यह मुकदमे दायर किए गए हैं। मस्जिद उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित है। एडवोकेट ने पीठ को बताया कि इलाहाबाद और मथुरा के बीच की दूरी 600 किलोमीटर है, लेकिन मथुरा से दिल्ली की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। मस्जिद समिति की अपील इस आधार पर आई है कि उसके पास इलाहाबाद की यात्रा करने के लिए फंड नहीं है। वह पसंद करेगी कि याचिकाओं की सुनवाई किसी नजदीकी स्थान पर की जाए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को भेजा रिमाइंडर
याचिकाओं का जवाब देते हुए जस्टिस कौल ने कहा कि यह इलाहाबाद और लखनऊ उच्च न्यायालयों की समस्या है। लखनऊ के निकटवर्ती स्थान अभी भी इलाहाबाद के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम, लेकिन कोई भी वहां कठोर निर्णय नहीं लेना चाहता। जस्टिस कौल ने कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के संबंध में आवश्यक जानकारी और दस्तावेज भेजने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को एक रिमाइंडर भेजा। उन्होंने कहा, ”कार्यालय रिपोर्ट से पता चलता है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को भेजे गए 21 जुलाई 2023 के हमारे आदेश के अनुसार, कोई अपेक्षित जानकारी प्राप्त नहीं हुई है… अंतिम आदेश के साथ एक रिमाइंडर भेजा जाना चाहिए…।”
इससे पहले मई में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले से संबंधित मथुरा अदालत के समक्ष लंबित सभी मुकदमों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था।
बता दें कि काशी और मथुरा का विवाद भी कुछ-कुछ अयोध्या की तरह ही है। हिंदुओं का दावा है कि काशी और मथुरा में औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवाई थी। औरंगजेब ने 1669 में काशी में विश्वनाथ मंदिर तुड़वाया था और 1670 में मथुरा में भगवा केशवदेव का मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया था इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई। मथुरा का ये विवाद कुल 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है। हिंदू पक्ष की ओर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और ये जमीन भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने की मांग की गई है।

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