अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से मिलने की मेरी कोई योजना नहींः ईरान के राष्ट्रपति

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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से मिलने की मेरी कोई योजना नहींः ईरान के राष्ट्रपति
‘विश्व शक्तियां ईरान के खिलाफ जा रही हैं‘ईरान के राष्ट्रपति ‘यूनएनजीए‘ को इस सप्ताह संबोधित भी करेंगे
ईरान और अमेरिका के रिश्ते नरम गरम होते रहे हैं। इसी बीच ईरान के राष्ट्रपति ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात को लेकर बयान दिया है। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा कि उनकी संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर न्यूयॉर्क में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलने की कोई योजना नहीं है। रईसी ने सोमवार को न्यूयॉर्क के लिए रवाना होने से पहले तेहरान हवाई अड्डे पर पत्रकारों से कहा कि अमेरिकी नेताओं से मिलने या बातचीत करने की कोई योजना नहीं है। हमारी उनसे मिलने की कोई योजना नहीं है। ईरान के राष्ट्रपति संयुक्त राष्ट्र महासभा ‘यूनएनजीए‘ को इस सप्ताह संबोधित भी करेंगे। वह धर्मों पर महासभा और यूनेस्को की बैठक दोनों को संबोधित करेंगे।
‘विश्व शक्तियां ईरान के खिलाफ जा रही हैं‘
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में अपनी उपस्थिति को दुनिया को उस कथित ‘दुर्भावना‘ के बारे में बताने का एक अवसर बताया, जिसे अनिर्दिष्ट राष्ट्र व विश्व शक्तियां ईरान के खिलाफ फैला रही हैं। हालांकि उन्होंने इस संबंध में कोई विस्तृत टिप्पणी नहीं की। राष्ट्रपति रईसी विदेश मंत्री होसैन अमीर अब्दुल्लाहियन और परमाणु समझौते पर वार्ताकार अली बघेरी कानी के साथ न्यूयॉर्क रवाना हुए। ईरान और अन्य विश्व शक्तियों के बीच 2015 परमाणु समझौते पर बातचीत लंबे समय से बाधित है।
गौरतलब है कि ईरान रुस के करीब जाता जा रहा है। पिछले दिनों पुतिन के साथ भी ईरान के समकक्ष ने मुलाकात की थी। वहीं पुतिन यूक्रेन से जंग में ईरान द्वारा निर्मित ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही पुतिन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से मुलाकात की थी और साथ ही ईरान में एक प्रमुख व्यापार प्रतिनिधिमंडल भेजने का वादा किया था।
ईरान को एससीओ समिट का स्थाई सदस्य बनाना चाहते हैं पुतिन
पुतिन ने ईरान को शंघाई सहयोग संगठन का पूर्णकालिक सदस्य बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करने का भी वादा किया था। इस राजनीतिक और सुरक्षा गठबंधन में रूस, चीन, उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान शामिल हैं। यूक्रेन पर हमला करने के बाद से रूस पश्चिमी देशों से अलग थलग हो गया है, जिसके बाद वह निरंकुश देशों खासतौर से उत्तर कोरिया और ईरान के साथ अपने सहयोग को सुधारने पर जोर दे रहा है। इस गठजोड़ में चीन भी शामिल हो सकता है और इससे आने वाले वर्षों में पश्चिमी देशों के सामने एक असल खतरा पैदा हो सकता है।

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