मुस्लिम देश सऊदी अरब में हुआ Fashion Show, बुर्के में कैद रहने वाली महिलाओं ने किया रैंप वॉक

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मुस्लिम देश सऊदी अरब में हुआ Fashion Show, बुर्के में कैद रहने वाली महिलाओं ने किया रैंप वॉक, कट्टरपंथियों के निशाने पर आए प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान
इससे पहले पहली बार साल 2018 में भी यहां इसी तरह का शो हुआ था। लेकिन इस बार इसे काफी बड़े स्तर पर आयोजित किया गया है। शो में डिजाइनरों ने सऊदी अरब की संस्कृति को ध्यान में रखते हुए आधुनिक डिजाइन पेश किए हैं। इस दौरान कई शेख शो का मजा लेते दिखाई दिए।
सऊदी अरब में आयोजित हुआ फैशन शोक्राउन प्रिंस कट्टरपंथियों के निशाने पर आए2018 में भी आयोजित हुआ था ऐसा ही शो सऊदी अरब की राजधानी रियाद दुनियाभर में खबरों में छाई हुई है। वजह भी हैरान करने वाली है। दरअसल इस देश में फैशन शो हुआ है। पूरी दुनिया से डिजाइनर इसमें हिस्सा लेने के लिए पहुंचे। एक तरफ जहां रूढ़ीवादी इस देश की खूब तारीफ की जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान लोगों के निशाने पर आ गए हैं। इससे पहले पहली बार साल 2018 में भी यहां इसी तरह का शो हुआ था। लेकिन इस बार इसे काफी बड़े स्तर पर आयोजित किया गया है। शो में डिजाइनरों ने सऊदी अरब की संस्कृति को ध्यान में रखते हुए आधुनिक डिजाइन पेश किए हैं। इस दौरान कई शेख शो का मजा लेते दिखाई दिए।
कैसे अलग है ये फैशन शो?
इस फैशन शो की शुरुआत 25 अगस्त को हुई थी लेकिन इस बार क्राउन प्रिंस यानी एमबीएस लोगों के निशाने पर आ गए हैं। साल 2018 में शो का नाम देश अरब फैशन वीक रखा गया था। जिसमें हिस्सा लेने के लिए दुनियाभर से मॉडल आई थीं। वहीं एमबीएस की बात करें, तो उन्हें साल 2015 में क्राउन प्रिंस बनाया गया था और तभी से वह देश में महिलाओं के लिए बेहद सुधारात्मक बदलाव कर रहे हैं। इस बार के शो का नाम जिमी फैशन वीक है, जिसके आलोचक क्राउन प्रिंस से सवाल कर रहे हैं कि जिस देश में दो पवित्र मस्जिद हैं, क्या उस देश में ऐसा इंसान सुल्तान बनने के योग्य है? 2018 के फैशन शो में पुरुषों और कैमरा के प्रवेश को मंजूरी थी लेकिन कैट वॉक के दौरान किसी तरह की फोटोग्राफी पर प्रतिबंध था। इस मामले में खूब चर्चा भी हुई थी। शो को बताया जा रहा शर्मनाक
सऊदी अरब से एक इन्फ्लूएंसर भी इस शो में पहुंचा। उसने एक इंटरव्यू में शो को देश के लिए शर्मनाक करार दिया है। उसने कहा, ‘मुझे पता है कि यह एक तरह का मिक्स शो है, जिसमें पुरुष और महिलाएं दोनों ने हिस्सा लिया है। मिक्स का मतलब खाना और पानी। यह काफी शर्मनाक था। ईमानदारी से कहूं तो, वह काफी शर्मनाक स्थिति थी। मुझे लगा कि यह महिलाओं के शरीर का फैशन शो है।’ वहीं कई नागरिकों ने पूछना शुरू कर दिया है कि देश में इस तरह के कार्यक्रमों को अनुमति क्यों दी जा रही है।देश विदेश से आए डिजाइनर
रियाद के फैशन शो में स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह के डिजाइनर आए। जब से एमबीएस ने सत्ता संभाली है, तभी से देश में कई तरह के सामाजिक बदलाव हुए हैं। अब यहां महिलाएं गाड़ी चला सकती हैं, लिंगभेद काफी हद तक कम हो गया है, अब महिलाएं मनोरंजन के लिए कई स्थानों पर जा सकती हैं। फैशन वीक भी इसी पहल के तहत आयोजित किया गया है। 2018 का अरब फैशन वीक महिलाओं के लिए एक नई पहचान के तौर पर आयोजित किया गया था। जिसमें ब्राजील, लेबनान, रूस, सऊदी अरब, अमेरिका और यूएई की मॉडल हिस्सा लेने के लिए पहुंची थी। एमबीएस का उद्देश्य 2030 तक देश को ट्रांसफॉर्म करना है। यही वजह है कि अब लगभग सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। समाज में कई बड़े बदलाव किए
समाजिक मामले पर आएं, तो सऊदी में वो बदलाव देखे गए, जिनकी कभी किसी ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी। अब महिलाओं को पूरी तरह से पर्दा नहीं करना पड़ता या गार्जियनशिप नियमों (पिता या पति से हर बात की अनुमति लेना) का पालन नहीं करना पड़ता, वह कार चला सकती हैं। पुरुष और महिलाएं मुत्तवीन (धार्मिक पुलिस) के खौफ के बिना घूम फिर सकते हैं, सिनेमा हॉल जा सकते हैं, या रैप और हिप-हॉप कॉन्सर्ट में शामिल हो सकते हैं। 9/11 के बाद से अपने पिता और पिछले शासकों की तरह, एमबीएस ने भी देश की छवि को इस्लामी चरमपंथी समूहों को वित्त पोषण और बढ़ावा देने से एकदम अलग करने की कोशिश की है।
मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप
उन्होंने इस साल की शुरुआत में सऊदी अरब की सबसे बड़ी मौत की सजाओं का निरीक्षण किया, जिसमें 81 लोगों को “आतंकवाद और चरमपंथी विचारधारा” के अपराधों के लिए फांसी दी गई थी। उनपर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप भी लगे। उनके शासन से असंतुष्ट लेखक रैफ बदावी और महिला कार्यकर्ता लौजैन अलहथलौल की कैद और कथित यातना के चलते उनकी खूब आलोचना होती है। इन लोगों को बेशक अब जेल से रिहा कर दिया गया है लेकिन इनपर यात्रा प्रतिबंध लगे हुए हैं। उनके आलचकों को डर है कि जब 40 साल से कम उम्र में महज क्राउन प्रिंस के पद पर बैठकर एमबीएस इतना कुछ कर रहे हैं और उनके पास इतनी पावर है, तो उनके किंग बनने पर वह क्या कुछ करेंगे।एमबीएस के लिए आगे कई चुनौतियां
अपने इन सुधारों की वजह से एमबीएस को वक्त बेवक्त कट्टरपंथियों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। व्यवसाय के मामले में एमबीएस को अपने देश के लोगों को यह समझाने की जरूरत होगी कि निवेश के लिए सऊदी अरब के दरवाजे खोलने से सख्त नागरिकता कानून कमजोर नहीं होंगे और प्रवासियों को नियोम (हाई-टेक सिटी) की तरफ आकर्षित करने की उनकी योजना देश के खजाने को खाली नहीं करेगी। 1800 के दशक की शुरुआत में फ्रांसीसी राजनेता और विचारक एलेक्सिस डी टोकेविल ने कहा था, ‘अनुभव बताता है कि एक खराब सरकार के लिए सबसे खतरनाक समय आमतौर पर तब होता है, जब वह सुधार करना शुरू करती है।’ और यही बात आने वाले वक्त में क्राउन प्रिंस के लिए वास्तविकता साबित हो सकती है। उन्हें तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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