18 जुलाई को होने वाले हैं राष्ट्रपति पद के चुनाव, जानें आंकड़ों में कौन सी पार्टी है मजबूत
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा के सदस्य वोटिंग करते हैं। हालांकि 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में से 233 सांसद ही वोट डालने के अधिकारी हैं क्योंकि कश्मीर में विधानसभा भंग है और यहां से 4 राज्यसभा सीटें अभी भरी नहीं हैं।
15 जून को जारी होगी राष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना29 जून है नामांकन की आखिरी तारीखचुनाव के नतीजे 21 जुलाई को आएंगे
देश में राज्यसभा के चुनाव खत्म होने के बाद अब सभी का ध्यान 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की ओर है। इसकी अधिसूचना 15 जून को जारी होगी और इसके लिए नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून तय की गई है। नामांकन पत्रों की जांच 30 जून तक होगी और उम्मीदवार 2 जुलाई तक अपना नामांकन वापस ले सकते हैं। इस चुनाव के नतीजे 21 जुलाई को आएंगे।
कैसे होता है राष्ट्रपति पद का चुनाव
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा के सदस्य वोटिंग करते हैं। हालांकि 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में से 233 सांसद ही वोट डालने के अधिकारी हैं क्योंकि कश्मीर में विधानसभा भंग है और यहां से 4 राज्यसभा सीटें अभी भरी नहीं हैं। ऐसे में इस बार 229 राज्यसभा सांसद ही राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग करेंगे।
राष्ट्रपति द्वारा मानित 12 सांसदों को भी इस चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं है। वहीं लोकसभा में सभी 543 सदस्य इस वोटिंग में हिस्सा लेंगे। इसके अलावा सभी राज्यों के विधायक ( कुल 4 हजार 33 MLA) भी इस चुनाव में वोट डालेंगे। हालांकि इन सभी के वोटों की वैल्यू अलग-अलग होती है।राज्यसभा चुनाव के नतीजों में कौन सी पार्टी सबसे ज्यादा मजबूत
देश में हालही में राज्यसभा चुनाव के नतीजे आए हैं। जिसमें से 11 राज्यों की 41 सीटों पर 3 जून को ही निर्विरोध निर्वाचन हो गया था। वहीं जो सीटें बची थीं, उन पर चुनाव हुए थे। कुल 57 राज्यसभा सीटों के नतीजों की बात करें तो सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में बीजेपी है। उसने इस चुनाव में 22 सीटों पर कब्जा किया है। वहीं कांग्रेस को 9, वाईएसआर कांग्रेस को 4, बीजद और डीएमके को 3-3 सीटें मिली हैं।
इसके अलावा AAP, एआईएडीमके, राजद और टीआरएस को 2-2 सीटें मिली हैं।शिवसेना, एनसीपी, JDU, झामुमो, सपा और रालोद के खाते में एक-एक सीट मिली है। वहीं इस चुनाव में 2 निर्दलीय भी जीते हैं। इनमें से एक को सपा के समर्थन से और दूसरे को भाजपा के समर्थन से जीत हासिल हुई है।
चुनाव हारने वाले सुभाष चंद्रा को मिलेगा वोट डालने का मौका
इस बार राज्यसभा चुनाव में कार्तिकेय शर्मा और कृष्णलाल पंवार ऐसे कैंडीडेट हैं, जिन्हें जीत तो हासिल हुई है, लेकिन वे इस राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं कर सकेंगे। दरअसल ये दोनों नेता अगस्त में राज्यसभा की सदस्यता लेंगे, इसीलिए उन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं मिल रहा है।
राज्यसभा चुनाव हारने वाले सुभाष चंद्रा वोट डाल सकेंगे क्योंकि उनका कार्यकाल राष्ट्रपति पद के चुनाव के बाद खत्म हो रहा है। इसके अलावा चुनाव न लड़ने वाले दुष्यंत गौतम को भी इस बार वोट डालने का मौका मिलेगा क्योंकि उनका कार्यकाल भी राष्ट्रपति पद के चुनाव के बाद खत्म हो रहा है।
NDA और UPA के पास कितनी है पावर
राष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए के पास करीब पांच लाख 26 हजार वैल्यू के वोट हैं। एनडीए में अभी भाजपा के साथ जेडीयू, एआईएडीएमके समेत 20 छोटे दल हैं। ऐसे में एनडीए को अपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए 13 हजार वोटों की जरूरत और पड़ेगी। इस बार के चुनाव में एक बात एनडीए के लिए काफी मायने रखती है कि पिछली बार उसका हिस्सा रही शिवसेना और अकाली दल अब उसके साथ नहीं है।
वहीं कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए के पास इस समय 2 लाख 59 हजार वैल्यू के वोट हैं। यूपीए में कांग्रेस समेत शिवसेना, आरजेडी, डीएमके, एनसीपी जैसे दल हैं। उसके विधायकों के पास 88 हजार 208 वैल्यू वाले वोट हैं, और सांसदों के 57 हजार 400 वैल्यू के वोट हैं।