राजीव गांधी की हत्या: महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट को बताया, 2021 में राष्ट्रपति को भेज दी गई थीं सभी दोषियों की फाइलें

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पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में समय पूर्व रिहाई की मांग कर रहे सभी सातों दोषियों की फाइलें तमिलनाडु के राज्यपाल ने 27 जनवरी 2021 को राष्ट्रपति के पास भेज दी थीं। यह जानकारी महाधिवक्ता आर शनमुगसुंदरम ने गुरुवार को मद्रास हाईकोर्ट को दी। महाधिवक्ता ने यह बात तब कही जब सात आरोपियों में से एक नलिनी श्रीहरन की ओर से रिहाई की मांग करने वाली एक रिट याचिका राज्यपाल की अनुमति के बिना आगे की सुनवाई के लिए आई।
मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी और न्यायाधीश डी भारत चक्रवर्ती की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है। महाधिवक्ता की ओर से यह जानकारी पीठ की ओर से पिछले सप्ताह उठाए गए एक सवाल पर दी। नलिनी इस समय वेल्लोर में महिलाओं के लिए विशेष कारावास में उम्र कैद की सजा काट रही हैं।
वर्तमान में वह राज्य सरकार की ओर से पेश की गई एक महीने की पैरोल पर बाहर हैं। पीठ ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 25 अप्रैल तय कर दी और महाधिवक्ता को यह तय करने का निर्देश दिया कि क्या नलिनी को टाडा अधिनियम के तहत सजा दी गई है।
सितंबर 2018 में अन्नाद्रमुक कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित किया था और सिफारिशों के लिए तत्कालीन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के पास भेजा था। इसमें संविधान की धारा 161 के तहत सभी सातों दोषियों की समय पूर्व रिहाई का प्रावधान किया गया था। राज्यपाल की ओर से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर नलिनी और अन्य ने अपनी याचिकाओं पर विचार करने के अनुरोध के साथ हाईकोर्ट में कई आवेदन दायर किए थे। लेकिन हाईकोर्ट ने इन सबको खारिज कर दिया था।
इसके बाद नलिनी ने वर्तमान रिट याचिका दाखिल की है जिसमें अदालत ने अनुरोध किया गया है कि उन्हें बिना राज्यपाल की अनुमति के जेल से रिहा किया जाए। इस मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे सात दोषी मुरुगन, संतन, एजी पेररिवलन, जयकुमार, रॉबर्ट पायस, रविचंद्रन और नलिनी हैं। राजीव गांधी की मई 1991 में श्रीपेरुंबदूर में एक आत्मघाती बम हमले में मौत हो गई थी।

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