भिवानी। नवजात शिशु के शरीर पर हुए नीले निशान और हल्की चोट में भी रक्त का थक्का न बनना हीमोफीलिय हो सकता है। यह आनुवंशिक रोग है, जोकि जन्म के दौरान ही बच्चे को माता-पिता से मिलता है। बच्चे के जन्म के बाद उनके शरीर में नीले रंग के निशान बन जाते हैं। साथ ही उनके रक्त का थक्का नहीं बना पाता। शरीर पर लगी चोट में खून नहीं रुक पाता, जिसके कारण दो से तीन दिन तक भी रक्तस्राव होता रहता है। कोई भी इन लक्षण से ग्रस्त है तो इसे छुपाने के बजाय रोग विशेषज्ञ चिकित्सक से उपचार करवाएं।
जिले में हीमोफीलिया के करीब 45 मरीज हैं, जिनका नागरिक अस्पताल से उपचार चल रहा है। नागरिक अस्पताल के आपातकालीन विभाग में रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद अस्पताल के वार्ड नंबर आठ में फैक्टर लगवाने की व्यवस्था है। वहीं, निजी अस्पतालों में इसका इलाज काफी महंगा है, लेकिन नागरिक अस्पताल में यह निशुल्क है। अगर किसी को यह बीमारी है तो वह मेडिकल की इमरजेंसी में जाकर अपना पंजीकरण करा सकता है। (संवाद) ज्यादातर फैक्टर आठ के मरीज
हर साल 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। इसके इलाज के लिए पहले विदेश से आने वाले इंजेक्शन की डोज बाजार में आठ से दस हजार रुपये की मिलती थी। निशुल्क लगवाने के लिए दिल्ली जाना पड़ता था। हीमोफीलिया बीमारी में फैक्टर 8 और 9 की डोज दी जाती है, जिले में ज्यादातर फैक्टर 8 के मरीज हैं। यह डोज मरीज को कभी-कभी महीनों तक नहीं देनी पड़ती, लेकिन कभी-कभी हर सप्ताह देनी पड़ती है। जिले के मरीजों को नागरिक अस्पताल में उपचार की निशुल्क सुविधा दी है। यह एक आनुवंशिक बीमारी है, जो आमतौर पर पुरुषों में होती है और महिलाओं द्वारा फैलती है। विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे क्लॉटिंग फैक्टर कहा जाता है। इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है। यह बीमारी रक्त में थ्रांबोप्लास्टिन नामक पदार्थ की कमी से होती है।
लक्षण
– शरीर में नीले-नीले निशानों का बनना।
– नाक से खून का बहना।
– आंख के अंदर खून का निकलना।
– पेशाब में रक्त का आना।
बचाव
– उचित चिकित्सक से सलाह और दवाइयां लें।
– मांसपेशियों और हड्डियों की मजबूती के लिए व्यायाम करें।
– ऐसे बच्चों को खेलते समय हेलमेट, एल्बो और जूते पहनाकर रखें।
सरकारी की ओर से दी जा रही निशुल्क बस पास सुविधा
एचएफआई के एडवोकेसी मेंबर आशुतोष शर्मा और राजकुमार ने बताया कि हीमोफीलिय के मरीजों को सरकारी अस्पतालों में निशुल्क उपचार सुविधा मिल रही है। इसके लिए राज्य नोडल ऑफिसर हीमोफीलिया डॉ. शालिनी और सिविल सर्जन डॉ. रघुबीर शांडिल्य का विशेष धन्यवाद। इस रोग से ग्रस्त मरीजों को सरकार की ओर से निशुल्क रोडवेज बस पास की सुविधा भी दी जा रही है।
इलाज की सुविधा है
हीमोफीलिया मरीजों के उपचार के लिए नागरिक अस्पताल में सुविधा है। रविवार को विश्व हीमोफीलिय दिवस पर नागरिक अस्पताल में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। नागरिकों को अपील है कि अगर हीमोफीलिय के लक्षण हैं तो रोग विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।
– डॉ. रघुबीर शांडिल्य, सिविल सर्जन।