जम्मू-कश्मीर: शोपियां और उत्तरी कश्मीर में लश्कर के चार मददगार गिरफ्तार, एक एके-47 व 67 कारतूस बरामद

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श्रीनगर. सुरक्षाबलों ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर संयुक्त कार्रवाई करते हुए दक्षिण कश्मीर के शोपियां व उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले से लश्कर-ए-ताइबा के चार आतंकी मददगारों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से एक एके-47 रायफल, 67 कारतूस व अन्य गोला बारूद बरामद किया गया है। दोनों मामलों में पुलिस ने मामले दर्ज कर लिए हैं।

रक्षा प्रवक्ता के अनुसार, 22-23 फरवरी की मध्यरात्रि को शोपियां के अवानीरा और शेड चक गांवों में आतंकी ठिकानों के बारे में सूचना मिली थी। इसके बाद सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए दो आतंकी मददगारों को गिरफ्तार कर लिया। इनकी पहचान अवनीरा-शेड चक निवासी आमिर अमीन उर्फ उमर और आकिब मुस्ताक लोन के रूप में हुई। पूछताछ के बाद इनकी निशानदेही पर नजदीक के एक बाग से एक एके-47 राइफल और 24 कारतूस बरामद किए गए। यह कार्रवाई चेरीमार्ग गांव में हुई मुठभेड़ में पुलवामा के एक लश्कर आतंकी मोहम्मद कयूम डार को मार गिराए जाने के बाद की गई।
उधर बारामुला के जेहनपोरा इलाके में पुलिस, सेना की राष्ट्रीय राइफल, एसएसबी और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने जेहनपोरा, जिला बारामूला में एके -47 के 40 कारतूस के साथ लश्कर के सहयोगी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के दो आतंकी मददगारों को गिरफ्तार किया है।

बारामूला पुलिस को सूचना मिली थी कि खाचदारी जहानपोरा में मौजूद अज्ञात आतंकवादी समूह बारामुला शहर में पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों के खिलाफ शांति और कानून व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए अवैध हथियारों और गोला-बारूद का उपयोग कर रहे हैं। सुरक्षाबलों की टीम ने शीरी थाना क्षेत्र में कई नाके लगाए। जहानपोरा-खड़नियार लिंक रोड पर स्थापित नाके पर दो लोग एक स्कूटी (जेके 05-9328) पर आ रहे थे। नाका देखकर भागने की कोशिश करने लगे। सतर्क सुरक्षाबलों ने दोनों व्यक्तियों को हिरासत में ले लिया। उनके कब्जे से एके -47 राइफल के कारतूस बरामद किए गए। दोनों की पहचान इम्तियाज अहमद बर्दल तथा मुनीर अहमद के रूप में हुई है। दोनों खाचदारी ज़हानपोरा के रहने वाले हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि वे और टीआरएफ के लिए मददगार के रूप में काम कर रहे थे।
सुरक्षाबलों पर हमला करने के लिए उपलब्ध कराते थे हथियार
दोनों ओजीडब्ल्यू ने स्वीकार किया कि वह सुरक्षाबलों पर हमला करने के लिए आतंकियों को अवैध हथियार और गोला-बारूद पहुंचाने में मदद करते थे। इसके अलावा दहशतगर्दों के ठहरने, खाने व परिवहन की सुविधा भी उपलब्ध कराते थे।

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