मुरादाबाद। कोहरा और ठंड के साथ मौसम में नमी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में आलू की फसल में पिछेता झुलसा रोग लगने की आशंका बढ़ गई है। उद्यान विभाग ने किसानों को अलर्ट किया है। उधर गेहूं और मटर की फसलों के लिए ये मौसम फायदेमंद है।
जिले में आलू का करीब साढ़े पांच हजार हेक्टेयर रकबा है। मुरादाबाद के ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा बिलारी और कुंदरकी ब्लॉक में इसकी सबसे अधिक खेती है। बिलारी में तो सरकारी फार्म हाउस में 14 हेक्टेयर में आलू तैयार किया जाता है। जिला उद्यान अधिकारी गया प्रसाद के अनुसार आठ और नौ जनवरी को लगातार बारिश हुई थी। जिसके बाद खेतों में नमी अभी तक बनी हुई है। बारिश के बाद लगातार ठंड बढ़ी है। तीन दिनों से कोहरा भी पड़ रहा है। ठंड के मौसम में कोहरा और ओस पड़ने पर मौसम में अधिक नमी हो रही है। 80 प्रतिशत से अधिक नमी में झुलसा रोग की संभावना बढ़ जाती है। टाहनायक के किसान रामस्वरूप कहते हैं पिछले दिनों बारिश होने से खेतों में पानी भर गया है। अब ठंड और नमी अधिक होने से गलन अधिक हो गई है। जिससे आलू में नुकसान हो सकता है। हालांकि जिले में अभी तक कहीं से शिकायत नहीं है लेकिन मौसम वैज्ञानिकों ने अगले कुछ दिनों में ठंड और कोहरे के आसार जताए हैं, इसलिए किसानों को भी सचेत होने की जरूरत है। किसानों को इस रोग के फैलने से ही पहले बचाव के उपाय कर लेने चाहिए।
उधर बढ़ती ठंड से गेहूं की फसल को लाभ है। ठंड में ये फसल अच्छी होती है। भदसाना गांव के मनोज कुमार और भूखापुर के मुन्नीलाल ने बताया कि ये मौसम गेहूं की फसल के लिए अच्छा है। ये मौसम खासतौर से रबी की अधिकांश फसलों के लिए अच्छा होता है। इसमें ओस की बूूंदे पत्तियाें पर रहती हैं, जिससे उनमें नमी बनी रहती। इसमें गेहूं ,मटर और सरसों के दाने की बढ़वार अच्छी होती है। इससे पैदावार भी अधिक मिलती है। यदि तेज हवा या बारिश होती है तो फसल को नुकसान संभव है। फिलहाल ये मौसम लाभकारी है।
आलू किसानों को सलाह
यदि आलू की फसल में पत्तियों पर पानी के जैसे धब्बे नजर आते हैं तो ये झुलसा के लक्षण हो सकते हैं। किसान को तुरंत अलर्ट हो जाना चाहिए क्योंकि ये धब्बे पत्ते को सुखा देते हैं हालांकि पत्तियां तक रोग पहुंचने पर अधिक नुकसान नहीं होता लेकिन यदि ये रोग तने तक पहुंच गया तो फसल बर्बाद हो सकती है। पौधा दो से तीन दिन में ही खत्म हो जाता है।
बीमारी से पहले ही ये करें उपाय
यदि किसानों ने अपनी फसल में फफूंदनाशक दवा का छिड़काव नहीं कराया है तो वह तुरंत मैन्कोजेब, या प्रोपीनेब या क्लोरोथेलोनील युक्त दवा का 0.2 से 02.25 प्रतिशत की दर से या 2.0 से 2.5 किलोग्राम दवा एक हजार लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।
बीमारी दिखने पर ये काम करें
यदि झुलसा रोग फसल में लग गया है तो वह किसी भी फफूंदीनाशक साईमोक्सेनिल और मेन्कोजेेब का तीन किलोग्राम प्रति हेक्टेयर एक हजार लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। या डाईमथुवेट मार्क एक किलो, मैन्कोजेब दो किलो कुल तीन किलो मिश्रण बनाकर प्रति हेक्टेयर एक हजार लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। फफूंदीनाशक को 10 दिन में दोहराया जा सकता है। बीमारी के हिसाब से इसका समय घटाया या बढ़ाया जा सकता