सभी दलों को मौका देते हैं, हर बार नए चेहरे को ही चुनते हैं कांठ के वोटर

89
Share

Moradabad Bureauमुरादाबाद ब्यूरो
Updated Mon, 17 Jan 2022 02:24 AM IST
Gives opportunity to all parties, chooses a new face every time
मुरादाबाद। जिले की कांठ विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास काफी दिलचस्प है। यहां के मतदाता किसी एक राजनीतिक दल के पीछे नहीं रहते बल्कि हर दल को परखते हैं और मौका देते हैं। अब तक यहां 16 बार विस चुनाव हो चुके हैं इनमें सात राजनीतिक दल के विधायक चुने गए हैं। दो बार तो निर्दलीयों को भी यहां के मतदाताओं ने विधायक चुना । इससे भी खास है कि बसपा विधायक रिजवान को छोड़ यहां के मतदाताओं ने लगातार दूसरी बार किसी विधायक को मौका नहीं दिया।कांठ विधान सभा सीट का गठन 1956 में हुआ था। 1957 में इस सीट पर पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ। यहां मुस्लिमों की काफी बड़ी संख्या है। कांठ के बुजुर्गों के अनुसार उस वक्त रियासत के कुंवर जितेंद्र प्रताप सिंह कांग्रेस उम्मीदवार के रुप में निर्विरोध चुने गए। क्षेत्रवासी उनके साथ थे, लेकिन 1962 के चुनाव में मुरादाबाद निवासी दाऊ दयाल खन्ना कांगे्रस के टिकट पर चुनाव जीते। वर्ष 1967 में यहां की जनता ने कांग्रेस को हैटट्रिक नहीं बनाने दी और निर्दलीय जे. सिंह को चुनाव जिताया। 1969 में भारतीय क्रांति दल ने यहां अपने पैर पसारे और नौनिहाल सिंह यहां से चुनाव जीते। 1974 में भारतीय क्रांति दन के ही चंद्रपाल सिंह को यहां की जनता ने चुनाव जिताकर विधान सभा में भेजा। 1977 में जनता पार्टी की हवा चली। पार्टी के हरगोविंद सिंह को यहां के मतदाताओं ने मौका दिया ।1980 में कांग्रेस (यू) के रामकिशन ने चुनाव जीता।1985 में कांग्रेस के समरपाल सिंह के यहां से चुने गए। मतदाताओं ने उन्हें चुनाव जिताकर विधान सभा में भेज दिया। 1989 में जनता दल की लहर चली तो यहां के मतदाताओं ने जनता दल के चन्द्रपाल सिंह चुनाव जिता दिया। 1991 में राममंदिर लहर में भाजपा की लहर चली । भाजपा के ठाकुरपाल सिंह पर यहां की जनता ने भरोसा जताया, लेकिन 1993 में भाजपा फिर से अपना बेहतरीन प्रदर्शन नहीं दोहरा सकी और जनता पार्टी के महबूब अली चुनाव जीते। 1996 में कांठ के मदताता हिंदुत्व की लहर के साथ रहे और भाजपा के राजेश कुमार सिंह को अच्छे मतों से चुनाव जिताकर विधायक बनाया। 2002 के यहां बसपा ने अपने पैर जमाए । मुस्लिम और दलित मतों के सहारे बसपा उम्मीदवार रिजवान अहमद को यहां के मतदाताओं को चुनाव जिताकर मौका दिया। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में पीस पार्टी ने यहां अपनी मजबूत पकड़ बनाई और पार्टी के प्रत्याशी अनिसुर्रहमान सैफी कांठ के विधायक चुने गए। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर तीसरी बार कमल खिला. भाजपा उम्मीदवार राजेश कुमार सिंह 21 साल बाद दूसरी बार कांठ के विधायक बने. उन्होंने सपा के सीटिंग एमएलए अनिसुर्रहमान सैफी को 2348 वोटों से हराया।

रिजवान को ही मिला लगातार दूसरी बार मौका
इस सीट से बसपा के रिजवान ही ऐसे विधायक रहे जिसे यहां की जनता से दोबारा मौका दिया और 2007 के विधानसभा चुनाव में रिजवान लगातार दूसरी बात इस सीट से चुनाव जीते। लगातार दो बार चुनाव जीतने वाले वे अब के चुनाव इतिहास में एकमात्र व्यक्ति रहे।

LEAVE A REPLY