एजेंसीं न्यूज
लखनऊ। गौतमबुद्धनगर के एसएसपी वैभव कृष्ण के खिलाफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है। वैभव कृष्ण को निलंबित किये जाने के साथ ही गोपनीय पत्र से भ्रस्टाचार के आरोपों से घिरे पांचों आइपीएस अधिकारी भी हटाए गए। शासन को भेजे गए उनके गोपनीय पत्र लीक होने के मामले में नाराज चल रहे सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर एसएसपी के वायरल रहे वीडियो की जांच रिपोर्ट आते ही यह कार्रवाई की गई है। उनके वीडियो और चैट की जांच गुजरात के फोरेंसित लैब से करवाई गई थी। लैब की रिपोर्ट में वे वीडियो और चैट सही पाये गए, जिन्हें वैभव कृष्ण ने फर्जी बताया था। जांच में पाया गया वीडियो और चैट में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।
गौतमबुद्धनगर एसएसपी प्रकरण को लेकर उठ रहे लगातार सवालों के बीच एडीजी जोन मेरठ प्रशांत कुमार की रिपोर्ट के बाद कठोर करवाई की गई है। एसएसपी वैभव कृष्ण के कथित वीडियो वायरल और गोपनीय पत्र लीक होने के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े निर्देशों के बाद शासन ने उन्हें निलंबित कर दिया है। वैभव कृष्ण को निलंबित किये जाने के साथ ही गोपनीय पत्र से भ्रस्टाचार के आरोपों से घिरे पांचों आइपीएस अधिकारी भी हटाए गए हैं। लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी समेत 14 आइपीएस अधिकारियों की तबादला सूची जारी की गई है। डीजी विजिलेंस हितेश चंद्र अवस्थी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय एसआइटी आइपीएस अधिकारियों पर लगे आरोपों की जांच करेगी।
गौतमबुद्धनगर के एसएसपी वैभव कृष्ण के कथित वीडियो वायरल होने के बाद वैभव कृष्ण द्वारा शासन को भेजा गया गोपनीय पत्र भी लीक हो गया था। पत्र में पांच आइपीएस अधिकारियों पर भी भ्रष्टाचार से जुड़े गंभीर आरोप लगाए गए थे। पत्र लीक होने से सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। डीजीपी ओपी सिंह ने प्रेसवार्ता कर कहा था कि गौतमबुद्धनगर के एसएसपी वैभव कृष्ण से गोपनीय पत्र लीक करने के लिए स्पष्टीकरण मांगे जाने की बात कही थी। इसके बाद आइजी मेरठ रेंज आलोक सिंह ने वैभव कृष्ण को नोटिस देकर स्पष्टीकरण तलब किया था, जिसे शासन को सौंपा जा चुका है। आइजी आलोक सिंह ने सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट भी की थी।
एसएसपी वैभव कृष्ण के सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो से शुरू हुई कहानी में शासन स्तर के अधिकारी तक सवालों के घेरे में आ गए थे। एसएसपी ने अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी को भेजे जाने के दावे के साथ जो पत्र सार्वजनिक कर लखनऊ तक सनसनी फैला दी थी। जिम्मेदार अधिकारी तो इसके बावजूद दायें-बायें बचने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे उतनी ही गंभीरता से लिया। कुछ भी कहने से बच रहे अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी से ही उन्होंने रिपोर्ट तलब कर ली थी।