पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम का नाम बदल कर राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम

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हुकूमत एक्सप्रेस
मुरादाबाद। पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम का नाम बदल कर राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम हो गया है। इस सम्बन्ध में संजीव कुमार विशेष सचिव स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार का पत्र स्वास्थ्य विभाग को प्राप्त हो गया है। अब पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के नाम से जाना जायेगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ दिनेश कुमार प्रेमी का मानना है कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करना चाहते है इसी क्रम में सरकार का यह महत्वपूर्ण कदम है ताकि सरकार और जनता में टीबी के विरूद्ध जागरूकता का वातावरण बनाया जा सके।
जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉ मुहम्मद जावेद बताते है कि वर्ष 1962 राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया था तथा वर्ष 1997 में इसको पुनरीक्षित कर कार्यक्रम का पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम कर दिया गया। इसी बीच साल 1994 में डॉटस प्रणाली शुरू की गयी थी। टीबी रोग की समाप्ति के लिये प्रत्येक पॉच साल में राष्ट्रीय रणनीति योजना बनायी जाती है जिसको एनएसपी कहा जाता है जिसमें विगत पॉच वर्षो की सफलता और विफलता का मूल्यांकन कर आगामी रणनीति तैयार की जाती है। डॉ मुहम्मद जावेद पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम की सफलता की इस आधार पर स्पष्ट करते है कि पहले भारत में प्रत्येक तीन मिनट में दो रोगियों की मौत टीबी से हो रही थी जो अब चार मिनट में हो रहीं है।राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम में टीबी उन्मूलन के लिये मूलभूत बदलाव भी किये गये है जैसे प्रति दिन खाते जाने वाली दवाई की निरूशुल्क व्यवस्था, प्रत्येक रोगी को पौष्टिक आहार हेतु पॉच सौ रूपये की व्यवस्था, रोगी के घर के निकट डॉटस सेंटर, हर सरकारी अस्पताल में जॉच व उपचार की निरूशुल्क व्यवस्था,घर घर जा कर टीबी के रोगियों की खोज करना, सरकारी मरीजो की भॉति प्राइवेट डॉक्टर से उपचार ले रहे रोगियो का फॉलोअप का प्रावधान किया गया है।

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