प्रदेश में उपद्रवियों के मुकदमे मुफ्त लडने के लिए वकीलों की टीम, सोशल मीडिया पर नामों की सूची वायरल

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एजेंसीं न्यूज
कानपुर। नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध के बहाने हुए उपद्रव में गिरफ्तार लोगों की रिहाई और उनके केस की मुफ्त पैरवी के लिए सूबे के अधिवक्ताओं की बड़ी टीम तैयार हो गई है। सोशल मीडिया पर वायरल हुई सूची में 11 जिलों के 37 अधिवक्ताओं के नाम और फोन नंबर दिए गए हैैं। मुकदमों में फंसे लोगों से अपील की जा रही है कि इनसे संपर्क करें, ताकि निर्दोष साबित करने की लड़ाई लड़ी जा सके। हर वकील से 50 से 100 लोग मदद भी मांग चुके हैैं। वहीं, सूची में कुछ नाम ऐसे भी रखे हैैं, जो वकील तक नहीं हैैं। ये लोग पूरे मामले से तौबा कर रहे हैैं।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई अधिवक्ताओं की यह सूची दिल्ली के एक अधिवक्ता ने बनाई है। इसमें कानपुर के अधिवक्ता तौफीक, शाश्वत सक्सेना व हरीशंकर शामिल हैं। इनके मोबाइल फोन भी नंबर दिए गए हैं। हालांकि, पता लगा कि शहर में एक दर्जन अधिवक्ताओं की टीम मुकदमों का मसला देखने में जुट चुकी है। इनके साथ सूची में अलीगढ़ के तीन, मेरठ, मुजफ्फरनगर, इलाहाबाद व बिजनौर के एक-एक, संभल, गोरखपुर व गौतमबुद्ध नगर के दो-दो, लखनऊ के 16 और रामपुर के पांच अधिवक्ता शामिल हैं।
सूची में कुछ नाम फर्जी भी हैैं। ऐसे लोग सीएए से जुड़े किसी केस को मुफ्त लडने की बात से इत्तेफाक नहीं रखते। कानपुर के अधिवक्ता शाश्वत सक्सेना कहते हैैं, मेरा मुफ्त केस लडने से कोई मतलब नहीं है। किसी ने बिना पूछे नाम लिख दिया है। 50 से ज्यादा फोन आ चुके हैैं। मना करके थक चुका हूं। दूसरे अधिवक्ता हरीशंकर के नाम के आगे लिखा फोन नंबर किसी महिला का है। वे भी फोन कॉल से छक आई हैैं। वे हैरान हैैं कि उनके पास ऐसे उल्टे-सीधे फोन कैसे आने लगे? कानपुर के ही अधिवक्ता तौफीक दर्जनभर अधिवक्ताओं के साथ तैयारी में जुटे हुए हैैं। कहते हैैं, सर्दी की छुट्टियों के कारण कचहरी बंद है। इसके खुलने पर फंसाए गए लोगों को छुड़ाने की पैरवी करेंगे। बकौल तौफीक, उनके पास मदद के लिए लगातार फोन आ रहे हैं।

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