गृहमंत्री अमित शाह बोले, अजित पवार के खिलाफ नहीं वापस हुआ एक भी केस, बढ़ सकती हैं मुसीबतें

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नई दिल्ली। एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यह संकेत दिए हैं कि अजित पवार के खिलाफ एक भी केस वापस नहीं लिया गया है। केंद्र की जांच एजेंसी या राज्य पुलिस की इकाई, जो भी जिस मामले के तहत पवार के खिलाफ जांच कर रही हैं, वे उसे जारी रखेंगी। हालांकि अब एक बार फिर ऐसी चर्चा है कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार में अजित पवार को डिप्टी सीएम का पद दिया जा सकता है। जांच एजेंसी ईडी के सूत्रों का कहना है कि अजित पवार, शरद पवार और उनके कई सहयोगियों के खिलाफ धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज हुए मामलों की जांच चल रही है। इन लोगों को पूछताछ के लिए जल्द ही समन भेजा जा सकता है।
बता दें कि महाराष्ट्र के सियासी दंगल में जब अजित पवार तीन दिन वाली भाजपा सरकार में उपमुख्यमंत्री बन गए थे, तब ऐसी खबरें आई थीं कि उनके खिलाफ कई मामले वापस लिए जा रहे हैं। यहां पर केवल उन मामलों का जिक्र था, जो भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 2013 में दर्ज किए थे। इनमें 70,000 करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले का आरोप है। हालांकि बाद में एसीबी की ओर यह स्पष्टीकरण भी आया कि सिंचाई घोटाले से जुड़े नौ मामले जो सोमवार को बंद किए गए हैं, उनका अजित पवार से कोई संबंध नहीं है।
इनमें से कुछ मामले विदर्भ सिंचाई विकास निगम से जुड़े हैं। जिस वक्त ये मामले सामने आए थे, तब अजित पवार ही निगम के अध्यक्ष थे। हाालंकि चुनाव प्रचार के दौरान खुद देवेंद्र फडणवीस अपनी जनसभाओं में यह कहते थे कि भाजपा सत्ता में आई तो पूर्व सिंचाई मंत्री अजित पवार जेल में चक्की पीसेंगे।
महाराष्ट्र में 1999 से 2009 के बीच कथित तौर पर 70 हजार करोड़ रुपये का सिंचाई घोटाला हुआ था। मामले की प्रारंभिक जांच में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने नवंबर 2018 में अजित पवार को घोटाले के लिए जिम्मेदार ठहराया था। महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने मुंबई उच्च न्यायालय के समक्ष भी यह बात बताई थी। अदालत के समक्ष कहा गया था कि करोड़ों रुपये के कथित सिंचाई घोटाले की जांच में अजित पवार तथा कई सरकारी अधिकारियों की बडी चूक सामने आई है। यह घोटाला करीब 70,000 करोड़ रुपए का है, जो कांग्रेस-एनसीपी के शासन के दौरान अनेक सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी देने और उन्हें शुरू करने में कथित भ्रष्टाचार तथा अनियमितताएं बरतने से जुड़ा है।

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