दुनिया की किसी भी फिल्म इंडस्ट्री में मुश्किल जोनर होता है कॉमेडी फिल्म और खासकर भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में जब स्टार कास्ट बड़ी हो, प्रोडक्शन ग्रैंड हो, तब सिर्फ फिल्म निर्देशक की समझदारी पर सारा दारोमदार होता है। कॉमेडी फिल्म सबसे मुश्किल विधा इसलिए भी है, क्योंकि इसमें अतार्किक रूप से तार्किक होते हुए दर्शकों को बांधे रखना होता है।
अगर कॉमेडी का ग्राफ नहीं बना तो पूरी फिल्म भरभरा के ढह जाती है। निर्देशक अनीस बज्मी को इस विधा में महारत हासिल हो गई है। उनकी फिल्म पागलपंती इस बात का उदाहरण है। यह कहानी है तीन दोस्तों (जॉन अब्राहम, अरशद वारसी और पुल्कित सम्राट) की, जो किस्मत के मारे हुए हैं। वे जहां कदम रखते हैं, वहां सारा का सारा उल्टा काम ही होता है। ऐसे में यह तीन दोस्त एक अंडरवर्ल्ड डॉन राजा साहब (सौरभ शुक्ला) की बेटी (कीर्ति खरबंदा) के बर्थडे पर गिफ्ट के तौर पर कार की डिलीवरी देने पहुंचते हैं और जैसे ही वहां पहुंचते हैं राजा साहब की मानो साढ़े साती शुरू हो जाती है।
इसके बाद क्या-क्या होता है इसी ताने-बाने पर बुनी गई है फिल्म पागलपंती। अनीस बज्मी ने फिल्म को पूरी तरह से से बांधे रखा है। इंटरवल के बाद लगभग 10 मिनट फिल्म थोड़ी ढीली छूटती है, मगर अनीस वापस दर्शकों को पकड़ लेते हैं। बेसिर पैर कॉमेडी को स्क्रिप्ट में बांधना वाकई मुश्किल काम होता है, जो अनीस ने पूरी सफलता से किया है।
अभिनय की बात करें तो राजा साहब के किरदार में सौरभ शुक्ला छाए रहते हैं। वाईफाई के किरदार में अनिल कपूर फिल्म की जान हैं। जॉन अब्राहम, अरशद वारसी और पुल्कित सम्राट की आपसी कैमिस्ट्री, एक एक्टर के तौर पर एक्शन-रिएक्शन, फिल्म को एक अलग स्तर पर लेकर जाते हैं। कृति खरबंदा को सफलतापूर्वक कॉमेडी करने में अभी वक्त लगेगा।
इलियाना डिक्रूज और उर्वशी रौतेला अपने रोल के साथ न्याय संगत नजर आती हैं। बृजेंद्र काला अचार की तरह हैं जिसके बगैर खाने का स्वाद पूरा नहीं हो सकता। ललित मोदी के किरदार में इनामुल हक अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराते हैं। कुल मिलाकर पागलपंती एक मनोरंजक फिल्म है, जिसमें आपको कतई दिमाग नहीं लगाना है क्योंकि आपका मनोरंजन हो इस बात के लिए निर्देशक पूरी तरह अपना दिमाग लगा चुके हैं।
यह एक मनोरंजक फिल्म है, जिसका आनंद आप सपरिवार ले सकते हैं। इसमें एक भी ऐसा दृश्य नहीं जिसे आप बच्चों के साथ ना देख पाएं।