एजेंसी न्यूज
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली के प्रदूषण पर सुनवाई की। अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए कि वह प्रदूषण की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर एयर प्यूरीफाइंग टावर लगाने का खाका तैयार करे। अदालत ने दिल्ली सरकार से यह बताने को कहा कि ऑड-ईवन से वायु प्रदूषण में कोई राहत मिली है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी हासिल करने के लिए पंजाब, हरियाणा, उप्र और दिल्ली मुख्य सचिवों को भी तलब किया। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि वायु प्रदूषण कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए और दिल्ली में प्रदूषण वाले 13 मुख्य स्थानों को प्रदूषकों से मुक्त किया जाना चाहिए। अदालत ने पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने मे कटौती किए जाने के बावजूद दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि होने पर चिंता व्यक्त की।
अदालत ने दिल्ली सरकार से पूछा, दिल्ली बुरी तरह पीड़ित है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) आज भी लगभग 600 है। लोग सांस कैसे लेंगे? सरकार ने अदालत को बताया कि ऑड-ईवन योजना की वजह से प्रदूषण में 5-15 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह परिणाम और बेहतर हो सकते हैं कि यदि इस योजना के तहत कोई छूट न दी जाए। पराली जलाने की वजह से दिल्ली में प्रदूषण हो रहा है। साथ ही कहा कि पिछले साल ऑड-ईवन के प्रभाव को लेकर कोई शोध नहीं हुआ।
इसपर अदालत ने कहा, वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ऑड-ईवन समाधान नहीं हो सकता है।श् दिल्ली सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, श्यदि ऑड-ईवन योजना के तहत मिली कुछ छूटों को हटा दिया जाए जैसे कि दोपहिया वाहनों को मिली छूट तो इससे मदद मिलेगी। हम इसे आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, अगर दुपहिया वाहनों को अनुमति नहीं दी जाएगी तो शहर में ठहराव आ जाएगा।